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राष्ट्रीय बालिका दिवस की शुरूआत महिला एवं बाल विकास ने 2008 में की थी-पूर्णकालिक सचिव

गाजीपुर। राष्ट्रीय बालिका दिवस के उपलक्ष्य में कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय मरदह में प्रातः 11ः30 बजे सुश्री कामायनी दूबे पूर्णकालिक सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अमित कुमार राय जिला समन्वयक सहभागिता प्रभारी एवं बालिका शिक्षा एवं श्रीमती प्रेमा सिंह वार्डेन अध्यापक कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय मरदह विडियों कान्फ्रेसिंग के माध्यम से उपस्थित हुए।

सचिव द्वारा राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर बताया गया कि 24 जनवरी के दिन पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को नारी शक्ति के रूप में याद किया जाता है। इस दिन इंदिरा गांधी पहली बार प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभाल संभाला था। इसलिए इसदिन को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। राष्ट्रीय बालिका दिवस भारत में हर साल 24 जनवरी को मनाया जाता है। इसकी शुरूआत महिला एवं बाल विकास, भारत सरकार ने 2008 में की थी। इस दिन बालिकाओं के लिए स्वास्थ्य और सुरक्षित वातावरण बनाने सहित जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना शाामिल है। यह दिवस समाज में बालिकाओं की उन्नति का मार्ग प्रशस्त करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन समाज में मौजूद बालिकाओं के प्रति विभिन्न प्रकार के क्षेत्रों में मौजूद भेदभावों को रोकने, बालिकाओं की देश में आवश्यकता के प्रति जागरूकता बढ़ाने व बालिकाओं के प्रति होने वाले शोषण को रोकने के उद्देश्य से कार्य किया जाता है। निसंदेह, वर्तमान समय में लड़कियां हर क्षेत्र में अपना वर्चस्व कायम कर रही हैं। शहर ही नहीं बल्कि गांवों की लड़कियां आज अपने हुनर, योग्यता व बुद्धि से देश का नाम रोशन कर रहीं है। ऐसे में हर लड़की को आगे बढ़ने का अवसर मिले, इसकी जिम्मेदारी देश द्वारा राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में पूरी की जाती हैं। लड़कियों को पता होना चाहिए कि उनके पास शिक्षा, स्वतंत्रता, पोषण इत्यादि अधिकार प्राप्त हैं।
जिला समन्वयक सहभागिता प्रभारी एवं बालिका शिक्षा, गाजीपुर के द्वारा बताया गया कि आज हमारा देश स्मार्ट इण्डिया की श्रेणी में अग्रसर है, लेकिन आज भी यहां कई जगहों पर बेटी की हैसियत नहीं बढ़ पाई है। बेटी के जन्म पर आज भी लोग बधाई देने से पहले कई बार सोचते है, बेटे की चाह में बेटी को गर्भ में ही मार दिया जाता है। इसके साथ ही समाज की बेटियों के अधिकारों व सम्मान की जंग आज भी बरकरार है। समाज में लड़कियों की यही परिस्थितियों को देखते हुए, राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने का निर्माण लिया गया जिसको मनाने की शुरूआत साल 2008 में की गई थी।