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कृषक अपने फसल की नियमित करें निगरानी

गाजीपुर। जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया है कि रबी के मौसम में जनपद के किसानों द्वारा प्रमुख रूप से राई-सरसो अथवा चना, मटर, आलू, की फसलें उगायी जा रही है।

किसान भाइयों को सूचित किया जाता है कि सम्बन्धित फसलों पर लगने वाले सामायिक कीट/रोग से वचाव हेतु निम्न सुझाव दिये जाते हैं, कृषक बन्धुओं को अपने फसल की नियमित निगरानी समय-समय से किया जाय। राई/सरसो-माहू एवं पत्ती सुरंग कीट को इस कीट के नियंत्रण हेतु एजाडिरैक्टीन 0.15 प्रतिशत ई.सी. की 2.5 लीटर मात्रा को 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। रसायनिक नियंत्रण हेतु डाईमेथोएट 30 प्रतिशत की 1.00 लीटर मात्रा को 600-750 लीटर पानी में घोल बना कर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।, अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा सफेद गेरूई एवं तुलासिता रोग, इस रोग के नियंत्रण हेतु मैकोजेब 75 प्रतिशत डब्लू.पी. अथवा जिनेब 78 प्रतिशत डब्लू.पी. की 2.00 किग्रा0 अथवा मैटालैक्सिस 8 प्रतिशत की 2.5 किग्रा मात्रा को 600-750 ली0 पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें, आलू में अगेती एवं पछेती झुलसा रोग की जानकारी हेतु मैकोजब 75 प्रतिशत वी.पी. अथवा जिनेब 78 प्रतिशत डब्लू.पी. की 2.00 किग्रा0 अथवा कापर आक्सी क्लोराइड 50 प्रतिशत डब्लू.पी की 2.5 किग्रा0 मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें, फाल आर्मी वर्म हेतु अण्ड परजीवी ट्राइकोग्रामा प्रेटिओसम अथवा टेलीनोमस रेमस के 50000 अण्डे प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करने से इनकी संख्या की बढोत्तरी में रोक लगायी जा सकती है, चना/मटर-पत्ती धब्बा एवं तुलासिता रोग को नियंत्रण हेतु मैंकोजेब 75 प्रतिशत डब्लू,पी. अथवा जिनेब 78 प्रतिशत डब्लू.पी की 2.00 किग्रा0 अथवा कापर आक्सी क्लोराइड 50 प्रतिशत डब्लू.पी की 2.5 किग्रा0 मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। बुकनी रोग के नियंत्रण हेतु घुलनशील गंधक 80 प्रतिशत 2.00 किग्रा0 ट्राइडेमेफाम 25 प्रतिशत डब्लू.पी ग्राम को 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें, फली बेधक एवं सेमीलूपर कीट के नियंत्रण हेतु खेतों में बर्ड पंर्चर लगाना चाहिए। बी0टी0 1.0 किग्रा0 अथवा एन0पी0बी0 2 प्रतिशत ए0एस0 250-300 एल0ई0प्रति हेक्टेयर की दर से लगभग 250-300 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें, अथवा एजाडिरैक्टीन 0.03 प्रतिशत 2.5-3.0 किग्रा मात्रा को 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव किया जाये।