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उत्तर औपनिवेशिक अंग्रेजी साहित्य का अध्ययन अहम डॉ.इंद्रजीत मिश्र

जमानियां(गाजीपुर)। स्टेशन बाजार स्थित हिंदू स्नातकोत्तर महाविद्यालय के अंग्रेजी विभाग द्वारा उत्तर औपनिवेशिक काल में साहित्य की भूमिका विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन सोमवार को किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी से सम्बद्ध डी.ए.वी.कॉलेज के अंग्रेजी विभाग के एसोसियेट प्रोफ़ेसर डॉ. इंद्रजीत मिश्र ने उत्तर औपनिवेशिक अंग्रेजी साहित्य पर विस्तार से प्रकाश डाला। अपने व्यख्यान में उन्होंने भारतीय सांस्कृतिक , सामाजिक , आर्थिक संदर्भों की युक्तियुक्त व्याख्या प्रस्तुत की। उन्होंने साहित्य को सामाजिक आर्थिक राजनीतिक मनोवैज्ञानिक प्रभावों को रेखांकित करने का उपयुक्त माध्यम बताया और जन कल्याणकारी साहित्य को उपयोगी बताते हुए इस संदर्भ पर विस्तार से चर्चा की। संगोष्ठी की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्रचार्य प्रोफेसर संजीव सिंह ने किया। प्रो.सिंह ने साहित्य को मानवीय सरोकार और सामाजिक संवेदना के अंकन का केंद्र बिंदु बताया। उनका मानना था कि साहित्य संगीत और कला की शिक्षा हममें मानवीय गुणों का विकास कर हमें संस्कारित मानव बनाती हैं। संगोष्ठी का संयोजन डॉ. राकेश कुमार सिंह अध्यक्ष अंग्रेजी विभाग ने किया उन्होंने अपने उद्बोधन में छात्र छात्राओं को प्रेरित करते हुए व्यक्तित्व विकास में भाषा के महनीय योगदान को।रेखंकित करते हुए सुंदर उदबोधन दिया।महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य एवं अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. शरद कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किए।संगोष्ठी में आकांक्षा तिवारी , सादाब , नाज़िया , अर्चना , फ़िज़ा , शमा सहित 45 छात्र छात्राओं ने शोध पत्र का वाचन किया। विभाग के सभी उपस्थित छात्र छात्राओं ने संगोष्ठी को सुचारू संचालित करने में सहयोग किया।

इस संगोष्ठी की विशेषता यह थी कि इसमें काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी स्नातकोत्तर महाविद्यालय गाज़ीपुर से प्रतिभागियों ने सहभागिता की।

संगोष्ठी में डॉ मदन गोपाल सिंहा डॉ अखिलेश कुमार शर्मा शास्त्री डॉ अरुण कुमार मनीष कुमार सिंह डॉ संजय कुमार सिंह डॉ अरुण कुमार सिंह आदि उपस्थित रहे।कार्यक्रम को सकुशल संचालित करने में लवकुश तिवारी , हर्ष , विपिन , तलत , आँचल , ज्योति , पूजा, नाज़, आकांक्षा, शमा, फिज़ा, शहबाज, शना बुशरा, श्रेया, सोनाली, संजना सिंह, अर्चना आदि की भूमिका महत्वपूर्ण रही।