जमानियां(गाजीपुर)। स्टेशन बाजार स्थित हिंदू स्नातकोत्तर महाविद्यालय के शोध एवं स्नातकोत्तर अध्ययन हिंदी विभाग के शोधार्थी सुरेश कुमार प्रजापति का चयन उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग प्रयागराज द्वारा आयोजित विज्ञापन संख्या 50 द्वारा असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में चयनित होने पर महाविद्यालय परिवार मित्र शुभचिंतकों एवं रक्त सम्बन्धित ने बधाई देते हुए शुभकामनाएं दी है।
इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करते हुए भावुक होते हुए सुरेश कहते हैं स्नातक परास्नातक कक्षाओं में अध्यापन मेरा सपना था है इसे साकार होने पर मैं अत्यंत प्रसन्न की। अनुभूति कर रहा हूँ। उन्होंने कहा कि इस सफलता में यदि किसी की सबसे बड़ी भूमिका रही है, तो वह है श्रद्धेय गुरुवर एवं मेरे शोध-निर्देशक डॉ. अखिलेश कुमार शर्मा शास्त्री जी की जिन्होंने मुझे पुत्रवत स्नेह दिया।उनके कुशल निर्देशन, सहयोग, प्रेरणा एवं आशीर्वाद ने मुझे यहाँ तक पहुँचाया। मैं बरुइन निवासी यशस्वी लेखक एवं हिंदी की प्रतिष्ठित पत्रिका सरस्वती के सम्पादक एवं हिन्दुस्तानी एकेडमी की शोध पत्रिका हिंदुस्तानी के पूर्व संपादक आदरणीय रविनन्दन सिंह सर का हृदय से आभारी हूँ जिन्होंने साक्षात्कार हेतु मुझमें सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर यह सफलता दिलाई। मेरे परास्नातक काल में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अनिल कुमार सिंह, डॉ मिथिलेश कुमार सिंह, शोध प्रवेश के समय के प्राचार्य डॉ देवेन्द्र नाथ सिंह, कोर्स वर्क के समय के प्राचार्य डॉ शरद कुमार, महाविद्यालय शोध प्रकोष्ठ के प्राध्यापकगण डॉ विमला देवी, डॉ शशिनाथ सिंह, डॉ अरुण कुमार, डॉ संजय कुमार सिंह आदि का मैं सहयोग नहीं भुला सकता जिनके स्नेह आशीर्वाद का यह सुफल है। मेरे शोध केंद्र के वर्तमान प्राचार्य प्रो संजीव सिंह जो शोध गतिविधियों के सुचारू संचालन के हिमायती हैं के प्रति मैं श्रद्धानत हूं जिनका आशीर्वाद मुझे प्राप्त होता रहा है। राजनीति शास्त्र विभागाध्यक्ष गुरुवर डॉ मदन गोपाल सिंहा ने हमेशा मुझे प्रेरित किया जिससे मैं यहां पहुंच पाया गुरुदेव के प्रति मैं किन शब्दों में शुक्रिया करूं। प्रभाग के पटल सहायक मनोज कुमार सिंह एवं कोर्ववर्क सहायक प्रदीप कुमार सिंह सर को मेरा नमस्कार जिनका आशीर्वाद मुझे निरन्तर मिलता रहा है। मैं देव तुल्य अपने बड़े पिता जी के पुत्रवत स्नेह और ऋण से आजीवन ऋणी हूँ जिन्होंने मेरे दुर्दिन में मुझे सदैव अपने आशीर्वाद से सिंचित किया। पूजनीया बड़ी माताजी पूज्या माताजी के अविरल आशीर्वाद के बिना यह सफलता मेरे सोच से बाहर थी।अपने स्वर्गीय पिता श्रद्धेय बसावन प्रजापति जी की आत्मा जहां भी होगी आज खुश महसूस कर रही होगी इह लोक में पंच भौतिक रूप से इस संसार में न रहते हुए भी नामानुरूप मुझे स्थापित करने बसाने का अदृश्य आशीष प्रदान किया है मैं उनके तृप्त होने की ईश्वर से कामना करता हूं। मेरी यह सफलता उनके श्री चरणों में सादर समर्पित है। मेरी अर्धांगिनी का तैयारी के दौरान मेरे प्रति अभूतपूर्व सहयोग रहा इस हेतु ईश्वर से उनके मंगलमय जीवन की प्रार्थना करता हूं। आत्मज शिवांश की कोमल किलकारियों ने जीवन में विशेष रंग भर दिया प्रभु इन्हें दीर्घायु करें ऐसी कामना है। मैं अपने शुभचिंतकों, मित्रों का सदा आभारी रहूँगा जो ईश्वर से मेरे सफलता की कामना करते रहे।
यद्यपि मेरी इस कामयाबी का रहस्य निरन्तर लगन और श्रम की साधना रही है लेकिन मोबाइल इंटरनेट का सदुपयोग भी मेरी सफलता का बड़ा हेतु बना है। अतः मैं प्रतियोगियों एवं युवाओं से यही कहूँगा कि वे मोबाइल को केवल मनोरंजन की वस्तु न समझें इसका सदुपयोग करके सफलता अर्जित करें। इंटरनेट पर उपलब्ध ज्ञान के सागर में उतरते रहने से आप सभी को सफलता मिलेगी इसी कामना यह अपील करता हूं कि युवा मोबाइल इंटरनेट को वरदान बनाएं अभिशाप नहीं। हिंदी विषय में नेट जे आर एफ या असिस्टेंट प्रोफेसर की तैयारी हेतु डॉ विवेक शंकर सर राजस्थान की पुस्तकें रामबाण हैं। प्रतियोगियों से मैं अवश्य चाहूंगा कि उनकी पुस्तकें हिंदी काव्य गद्य साहित्य भाषा विज्ञान भारतीय और पाश्चात्य काव्य शास्त्र हिंदी नवजागरण उपन्यास मीमांसा हिन्दी की कालजयी कहानियां नाट्य चतुर्दश आदि अवश्य पढ़ें। मेरी सफलता में इन पुस्तकों का योगदान भी कमतर नहीं। अंत में बस यही कि सकारात्मक सोच से कैसी भी सफलता पाई जा सकती है।