गाजीपुर। आश्रय गृहों के निरीक्षण के लिए गठित की गयी समिति के अध्यक्ष विष्णु चन्द्र वैश्य, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश, पॉक्सो न्यायालय, कक्ष सं0-1, गाजीपुर, सदस्या, सुश्री कामायनी दूबे, पूर्णकालिक सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, गाजीपुर एवं सदस्य, श्री विनायक सोमवंशी, नवसृजित न्यायालय अपर सिविल जज (जू0डि0) चतुर्थ, गाजीपुर द्वारा बुधवार को संरक्षण गृहों का निरीक्षण तथा बाल अधिकार एवं शिक्षा का अधिकार विषय पर शिविर का आयोजन किया गया।
पं0 भोलानाथ मिश्र, बालगृह (बालक) बड़गांव, मखदूपुर, सैदपुर, गाजीपुर के अधीक्षक श्री रामप्रवेश मिश्र उपस्थित एवं कर्मचारी कार्यरत थे। संस्था में आवासित बालकों की संख्या उपस्थिति पंजिका दिनांक 30.03.2022 के अनुसार उपस्थित रहे। समिति द्वारा सम्बंधित बालगृह (बालक) अधीक्षक को निर्देशित किया गया कि वे बच्चों के भोजन की गुणवत्ता तथा अन्दर लगे सीसीटीवी कैमरों को चेक करते हुए बालगृह में दवा की उपलब्धता, सैनिटाइजेशन एवं कोविड-19 की जांच के संबंध में जानकारी ली। समिति द्वारा प्रत्येक दशा में मास्क का प्रयोग एवं मास्क उपलब्ध करायें। समिति द्वारा यह भी निर्देशित किया गया कि साफ-सफाई कराना सुनिश्चित करें। किसी भी बालक द्वारा किसी उत्पीड़न अथवा परेशानी का कोई उल्लेख नहीं किया गया है। श्री विष्णु चन्द्र वैश्य, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश, पॉक्सो न्यायालय, कक्ष सं0-1, गाजीपुर द्वारा बताया गया कि च्व्ब्ैव् अधिनियम में शारीरिक रूप से या मानसिक रूप से अक्षम बच्चे को अनुवादक, दुभाषिया या विशेष शिक्षक की सहायता के माध्यम से पुलिस स्टेशन, मजिस्ट्रेट और विशेष अदालत के स्तर पर संवाद करने में सक्षम बनाने के प्रावधान है।
सुश्री कामायनी दूबे, पूर्णकालिक सचिव महोदया द्वारा बताया गया कि हर बच्चे को शिक्षा पाने का अधिकार है। यथा संभव हर बच्चे को उच्च शिक्षा दिलवाए, विद्यालयों में अनुशासन बच्चों के आत्मसम्मान को चोट पहुंचाने वाला न हो। शिक्षा बच्चों के ऐसे जीवन के लिए तैयार करे जो उसमें समझ, शान्ति एवं सहनशीलता विकसित करे। बच्चों के सम्पूर्ण विकास में खेलकूद, मनोरंजन, सांस्कृतिक गतिविधियों, विज्ञान का बड़ा हाथ होता है। इसलिए हर बच्चे को छुट्टी, खेलकूद तथा कलात्मक, सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने का अधिकार प्राप्त है। बच्चों के अधिकार जिन्हें देकर हम बच्चों का जीवन संवार सकते है। बच्चों के अधिकारों से संबंधित घोषणा पत्र अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकारों के कानून में सबसे अधिक स्पष्ट व वृहद है।
श्री विनायक सोमवंशी, नवसृजित न्यायालय अपर सिविल जज (जू0डि0) चतुर्थ, गाजीपुर द्वारा शिक्षा का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21ए के अन्तर्गत मूल अधिकर के रूप में उल्लिखित है। 02 दिसम्बर, 2002 को संविधान में 86वॉं संशोधन किया गया था और इसके अनुच्छेद 21ए के तहत शिक्षा को मौलिक अधिकार बना दिया गया। इस मूल अधिकार के क्रियान्वयन हेतु वर्ष 2009 में निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम ; (Right of children to free and compulsory Education-RTE Act) बनाया गया। इसका उद्देश्य प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में सार्वभौमिक समावेशन को बढ़ाया देना तथा माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अध्ययन के नए अवसर सृजित करना है। इसके तहत 6-14 वर्ष की आयु के प्रत्येक बच्चे के लिए शिक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में अंगीकृत किया गया।
राजकीय प्लेस ऑफ सेफ्टी गाजीपुर एवं राजकीय सम्प्रेक्षण गृह (किशोर) गाजीपुर का निरीक्षण किया गया। राजकीय प्लेस ऑफ सेफ्टी गाजीपुर में अधिकारी/कर्मचारीगण के रूप में कर्मचारी कार्यरत है, तथा आवासित किशोरो उपस्थिति पंजिका दिनांक 30.03.2022 के अनुसार उपस्थित पाये गये। राजकीय प्लेस ऑफ सेफ्टी गाजीपुर एवं राजकीय सम्प्रेक्षण गृह (किशोर) गाजीपुर को निर्देशित किया गया कि विचाराधीन एवं दोषसिद्ध बंदियों के लिए अलग-अलग बैरक की व्यवस्था सुनिश्चित करें, तथा शौचालय में साफ-सफाई एवं हार्पिक, साबुन, हैण्डवाश, मच्छरों के लिए छिड़काव आदि की व्यवस्था करना सुनिश्चित करें। किसी भी बालक द्वारा किसी उत्पीड़न अथवा परेशानी का कोई उल्लेख नहीं किया गया है। वन स्टाप सेंटर, सरकारी हास्पिटल, गोराबाजार, गाजीपुर का निरीक्षण दौरान प्रभारी सेंटर मैजनेजर श्रीमती प्रियंका प्रजापति उपस्थित रही तथा उपस्थिति पंजिका के अनुसार कर्मचारीगण का कार्यरत होना पाया गया तथा वन स्टाप सेंटर, सरकारी हास्पिटल, गोराबाजार, गाजीपुर में सुरक्षा व्यवस्था के लिए सुरक्षकर्मी/होमगार्ड उपस्थित थें। मुख्य द्वार, परामर्श कक्ष, हाल, बाथरूम एवं शौचालय में साफ-सफाई की उचित व्यवस्था पायी गयी। वन स्टाप सेंटर, सरकारी हास्पिटल, गोराबाजार, गाजीपुर में रिर्पोटिंग चौकी, महिला थाना द्वारा महिला पुलिस कांस्टेबल पोस्टिंग हैं।