ग़ाज़ीपुर। राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के तहत एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के सभागार में हुआ। जिसका शुभारंभ मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ हरगोविंद सिंह ने किया और इस दौरान जनपद के समस्त ब्लॉकों से आए हुए चिकित्सा अधीक्षक, फार्मासिस्ट ,डाटा ऑपरेटर को रेबीज से बचाव के साथ ही टीकाकरण के तरीके और रिपोर्टिंग व फीडिंग के तरीके के संबंध में बहुत ही बारीकी से जानकारी दी गई। ताकि यह सभी लोग अपने-अपने ब्लॉकों में जाकर लोगों को जानकारी दे सके। उन्होंने बताया कि यदि पीड़ित को कुत्ते और बंदरों के काटने के बाद 0,3,7,28 दिन पर इंजेक्शन इंट्रा डर्मल तरीके से लगाना होता है।। यदि पीड़ित को रेबीज का इंजेक्शन सही समय पर लगा दिया जाए तो उसकी जान भी बचाई जा सकती है।
प्रशिक्षक डॉक्टर शाहबाज़ ने बताया कि कुत्तो व बंदरो के बढ़ते हमले और इससे होने वाली मौतों को रोकने के लिए शासन ने नेशनल रेबीज कंट्रोल प्रोग्राम शुरू किया है। इसके लिए तैयार एप्लीकेशन में जिले से लेकर ब्लाक मुख्यालय की जानकारी विस्तृत विवरण के साथ दर्ज होगी। इससे कुत्ते काटने की घटनाओं की वास्तविक जानकारी सामने आ सके। साथ ही इसके लिए कार्ययोजना तैयार की जाएगी। प्रोग्राम का लक्ष्य वर्ष 2030 तक रेबीज से मृत्यु दर शून्य करना है। रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के सुचारू संचालन के लिए स्वास्थ्य अमले को भी प्रशिक्षित किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य संस्थाओं में आने वाले रोगियों को भी रेबीज रोग की आवश्यक जानकारी नहीं रहती है। इसे देखते हुए शासन ने जागरूकता कार्यकम शुरू किया है। इसमेें निगरानी, मानव संसाधन की रेबीज के विषय में समुदाय में जागरूकता तथा अंतर विभागीय समन्वय की गतिविधियां संचालित की जा रही है। प्रशिक्षण में रेबीज के समस्त प्रकरणों की जानकारी जैसे नाम, पता, जानवर के काटे जाने का स्थान, टीकाकरण की स्थिति इत्यादि इंद्राज किए जाने की जानकारी व प्रशिक्षण दिया गया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में एसीएमओ डॉ केके वर्मा ,डॉ डीपी सिन्हा ,डॉ एसडी वर्मा ,डॉ उमेश कुमार ,राधेश्याम , सोमारू बिंद के साथ ही अन्य लोग भी मौजूद रहे।