Skip to content

रामकथा एक आईना की तरह से हमें हमारे मन का अवलोकन करने में मदद करती है-भागवताचार्य चंद्रेश महाराज

जमानिया(गाजीपुर)। दिव्य राधा-माधव ट्रस्ट सब्बलपुर के प्रांगण में पिछले दो बर्ष से नित्य आयोजित होने वाले सत्संग के तीसरे बर्ष में प्रवेश के मौके पर भागवताचार्य चंद्रेश महाराज ने रामकथा की महिमा का और उसे सुनने से श्रोताओं को होने वाले लाभ की चर्चा करते हुए कहा कि रामकथा एक आईना की तरह से हमें हमारे मन का अवलोकन करने में मदद करती है।

जिस प्रकार आईना में देखकर हम अपना वाह्य शारीरिक रूप में किसी विकार ,दाग को सही कर लेते हैं और यह प्रक्रिया प्रतिदिन और कभी कभी दिन में कई बार करने की स्थिति बन जाती है, और समाज में एक स्वच्छ एवं आकर्षक स्वरूप के साथ शामिल होने में आईना से हमें सहयोग मिलता है, उसी प्रकार रामकथा हमें शारीरिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि चारित्रिक रूप से मानव बनाने में मदद करती है। जब हम कथा में राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न ही नहीं अपितु रामकथा के अन्यान्य पात्रों के चरित्र को सुनते, पढ़ते हैं तो सत्य, न्याय, इमानदारी पर उन तमाम पात्रों की सत्यनिष्ठा हमें पूर्णतया न सही लेकिन कुछ न कुछ अंशों में प्रभावित अवश्य करती है।हम अपने कर्मों एवं आचरण को रामकथा के नायकों,उपनायकों से तुलना करने लगते हैं और अपने कमियों को दुरुस्त करने का यत्न भी करने लगते हैं। धीरे धीरे लगातार सत्संग करते रहने पर हम शारीरिक एवं मानसिक रूप से मनुष्य बनने की दिशा को पकड़ लेते हैं और एक न एक दिन सच्चे अर्थों में मानव कहलाने के योग्य बन जाते हैं।इस विशेष अवसर पर गंगा यादव, कैलाश यादव, विनोद श्रीवास्तव, अमेरिका यादव, राजकुमार राय, रामाश्रय शर्मा, डा०अरविन्द एवं डा०गुप्ता जी ने सत्संग की महिमा पर अपने विचार व्यक्त किए।