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जन जागरुकता बढाये जाने हेतु 16 जुलाई से 22 जुलाई तक भू-जल-सप्ताह का होगा आयोजन

गाजीपुर 12 जुलाई, 2022 (सू.वि)। जिलाधिकारी एम पी सिंह की अध्यक्षता में भूजल संरक्षण एवं संवर्धन हेतु जन जागरूकता लाने के उद्देश्य से भू-जल सप्ताह की बैठक जिला पंचायत सभागार में सम्पन्न हुआ।

बैठक में जिलाधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि अब प्रति वर्ष भूजल के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु जन-जागरुकता लाने के उद्देश्य से इस वर्ष भी दिनांक 16 जुलाई से 22 जुलाई तक भू-जल-सप्ताह का आयोजन कर जन- जागरुकता बढाये जाने हेतु निर्देश दिया गया है। जनसंख्या के बढ़ते दबाव व पानी की अत्यधिक मॉग तथा जल संसाधनों की सीमित उपलब्धता के परिणाम स्वरुप जलापूर्ति एवं उपलब्ध जल की मात्रा के बीच अन्तर बढता जा रहा है। इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु अधिकाधिक जन सहभागिता बढाने के उद्देश्य से भूजल सप्ताह मनाया जा रहा है। उन्होने कहा कि गंगा के मैदानी भाग में रहने वाले लोग बहुत ही भाग्यशाली है। क्योंकि यहाँ पर प्रकृति ने प्रर्याप्त भूजल का भण्डार प्रदान किया है। मैदानी भागों में रहने वाले लोग पानी के मूल्य को कुछ नहीं समझते हैं और मनमाने ढंग से भूजल को निकालते एवं खर्च करते हैं। इस विकास के दौर के कारण बड़े-बड़े शहरो में पक्की इमारते, पक्की सडके, पक्के फुटपाथ चबूतरे सीमेन्ट कंकरीट से बना कर खड़े किये जा रहे हैं, जिससे पूरे जमीन के छिद्र बन्द होते जा रहे हैं। वर्षा के पानी को धरती में जाने के सारे रास्ते बन्द कर दिये गये है। वर्षा का लगभग 90 प्रतिशत पानी नदी में बह जाता है। लगभग 5-10 प्रतिशत ही पानी जमीन के अन्दर जा पाता है। जबकि पहले 70 प्रतिशत वर्षा का पानी बह जाता था 30 प्रतिशत पानी जमीन के अन्दर चला जाता था। इस प्रकार अब जमीन के अन्दर वर्षा का पानी कम जा रहा है।
वर्तमान मे जनसंख्या बढ़ने के कारण भूजल की मांग बढ़ती जा रही है जनमानस की आवश्यकता हेतु प्रति वर्ष नवीन नलकूप, हैण्डपम्प लगा कर पानी खीचा जा रहा है तथा नागरिक विभिन्न उपायों से भू-जल को धरती से निकाल रहे हैं। जिसका परिणाम यह है कि भूजल स्तर में गिरावट हो रही है। लोग लाखों रूपये खर्च करके धरती से पानी का दोहन कर रहे हैं, किन्तु धरती में पानी डालने (रिचार्ज) का कोई भी व्यक्ति प्रयास नहीं कर रहा है। इसलिए हमें यह चाहिए कि वर्षा के पानी को संचय करके कुदरत के भूजल खाते में कुछ न कुछ शुद्ध पानी अवश्य जमा करें, क्योंकि वर्षा का पानी प्रदूषित नहीं होता है इसलिए रेन वाटर हार्वेस्टिग योजना का क्रियान्वयन सभी सरकारी एवं गैर सरकारी ईमारतों पर अवश्य होना चाहिए। उन्होने बताया कि पानी का एक-एक बूँद बहुत कीमती है। जैसे हमें बुजुर्गों से प्रेरणा मिलती है कि अपनी पुस्तैनी जायदाद की देख-भाल करें और उसे आने वाली नस्ल को सौंप कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर सकें। लेकिन जो जायदाद हमें कुदरत ने भूगर्भ जल भण्डार के रूप में दिया है, उसकी देख-भाल करने से हम मुख न मोडे। हमे अपनी आदत में सुधार करनी होगी। हम सब मिल कर आज भू- जल सप्ताह पर अपने आपसे वादा करें कि हम पानी के खर्च में हर मुमकिन कटौती करेगे हम पानी की बरबादी को रोकेंगे और हम अपने छत का पानी जमीन के नीचे भू-जल के खाते में जमा जरूर करायेंगे। बैठक में मुख्य विकास अधिकारी श्री प्रकाश गुप्ता, डी एफ ओ, एंव अन्य सम्बन्धित अधिकारी विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।