जमानिया(गाजीपुर)। दिव्य राधा-माधव ट्रस्ट सब्बलपुर के प्रांगण में बुद्धवार को गुरु पूर्णिमा का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया गया।
इस अवसर पर भक्त श्रोताओं को सम्बोधित करते हुए भागवताचार्य चंद्रेश महाराज ने कहा कि माँ जन्मदात्री है परन्तु सद्गुरु जीवन दाता है। माँ व्यक्ति को जन्म देती है और सद्गुरु व्यक्तित्व को जन्म देते हैं। सद्गुरु तो उस भगवान भुवन भास्कर की तरह हैं जिनके आते ही जीवन की सारी कालिमा मिट जाती है और जीवन में सत्य का, ज्ञान का प्रकाश फैल जाता है। जीवन के श्रेष्ठत्व, जीवन के दैवत्व को बिना गुरु के मार्गदर्शन के कभी भी प्राप्त नहीं किया जा सकता है। सद्गुरु भगवान की वाणी शिल्पी की छैनी के समान है, जिसके एक -एक प्रहार से पत्थर को भी ईश्वर के रूप में गढ़ा जाता है। जो हमारे रूप और स्वरूप दोनों को निखारकर नाशवान जीवन को भी प्रतिष्ठा वान जीवन बना दे वह है सद्गुरु।
किमत्र बहुनोक्तेन शास्त्र कोटि शतेन च।दुर्लभा चित्त विश्रांति: विना गुरु कृपां परम्।।
बहुत कहने से भी क्या होगा? करोड़ों शास्त्रों के अध्ययन से भी क्या होगा ? क्योंकि चित्त की परम शांति, गुरु के बिना मिलना दुर्लभ है। गुरु की परम कृपा ही जीवन कल्याण का मूल है।
गुरु पद रज मृदु मंजुल अंजन।नयन अमिअ दृग दोष विभंजन।
सद्गुरु महाराज के चरणकमलों की धूल कोमल और सुन्दर नयनामृत अंजन है, जो नेत्रों के दोषों का नाश करने वाला है और उस अंजन से विवेक रूपी नेत्रों को निर्मलता प्राप्त होती है और फिर संसाररूपी बन्धन छुड़ाने का एक मात्र साधन है सद्गुरु की कृपा।