गाजीपुर। आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय अयोध्या के द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र आकुशपुर गाजीपुर के प्रक्षेत्र पर प्राकृतिक खेती का मॉडल 1.0 एकड़ क्षेत्रफल में धान की बीवीटी-5204 (सांभा महसुरी) प्रजाति की रोपाई की गई।
केंद्र के वैज्ञानिको ने किसानों को प्राकृतिक खेती की जानकारी दी वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रभारी अधिकारी डॉ जे पी सिंह ने कृषकों को बताया की प्राकृतिक खेती से शुद्ध एवं गुणवत्तायुक्त अन्न उत्पादन होता एवं इसके सेवन से स्वास्थ पर अच्छा प्रभाव होता है इस संदर्भ में केंद्र के पशुपालन वैज्ञानिक डॉ ए के सिंह ने किसानों से आहवॉन किया कि खेतों में किसान गोबर की खाद, हरी खाद जैसे सनई, ढैचा, का अपने खेतों में अधिक से अधिक प्रयोग करें जिससे धान में महक सुगंध बनी रहे। बीज तकनीकी वैज्ञानिक डॉ नरेंद्र प्रताप ने प्राकृतिक खेती के लिए धान की सुगंधित किस्मों राजेंद्र कस्तूरी, पूसा बासमती 5, पूसा बासमती 1509, मालवीय सुगंधा 5, को पैदा करने की सलाह दी। इस अवसर पर मृदा वैज्ञानिक डा अविनाश राय ने कहा कि खेतों में रासायनिक उर्वरको का असंतुलित और ज्यादा प्रयोग करने से मृदा का स्वास्थ खराब होता जा रहा है इसको सुधारने के लिए प्राकृतिक खेती अपनाने की सलाह दी। कृषि अभियंत्रण वैज्ञानिक डा शशांक शेखर ने बताया कि मानसून की स्थिति को देखते हुए जल संरक्षण की तकनीकों जैसे कभी गीला कभी सूखा एवम एस आर आई तकनीकी अपनाने के बारे में सलाह दी इस तकनीकी से कम पानी में बिना उपज पर प्रभाव पड़े धान की अच्छी खेती की जा सकती है। वैज्ञानिक शशांक सिंह ने प्राकृतिक खेती करने के लिए ब्रम्हास्त्र, निमास्त्र, घनजीवामृत आदि बनाने एवं प्रयोग की विधि पर विशेष चर्चा की।