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भगवान की प्रतीक्षा को जिसने अपना जीवन का लक्ष्य बनाया उसको परमात्मा का दर्शन प्राप्त होता है-अखिलेश महाराज

जमानिया(गाजीपुर)। राधाकृष्ण मंदिर देवा बैरनपुर के प्रांगण में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के अवसर पर आयोजित छह दिवसीय संगीतमय रामकथा में कथा अमृत पान कराते हुए अखिलेश महाराज ने कहा कि समीक्षा, परीक्षा, प्रतीक्षा का आश्रय तीन पात्रों ने लिया। एक जो समीक्षा करने गई उसके नाक कान की क्षति हुई, दूसरे को जो कि परीक्षा लेने हेतु गई थी उसे पति वियोग और प्राण की हानि हुई लेकिन तीसरी जिसने भगवान की प्रतीक्षा को ही अपना जीवन का लक्ष्य बना लिया था उसको परमात्मा का दर्शन प्राप्त हुआ और वह भी कही गिरि पर्वत पर अथवा गुफा में कठोर तप नहीं बल्कि गुरु वाक्य पर भरोसा करके प्रतीक्षा करते हुए अपनी ही कुटिया में ही रामजी और लक्ष्मण जी दोनों का दर्शन प्राप्त हुआ। इसलिए वेद पुराण उपनिषद् संत विद्वान सभी के द्वारा अनुमोदित सत्य है कि भगवान को समीक्षा और परीक्षा से नहीं अपितु प्रतीक्षा से ही पाया जा सकता है।
सुंदरता का शास्त्रीय परिभाषा बताते हुए महाराज जी ने बताया कि शरीर की संरचना, वस्त्राभूषण भी सुंदर और चलन भी सुंदर हो आचरण भी सुंदर हो तो ही वह सुंदर कहलाने का हकदार है अन्यथा नहीं। कथा मंच का संचालन नागा राय ने किया कथा मे लालमोहर आर्य व उपेन्द्र यादव ने भक्ति गीतों से माहैल को भक्ति मय वना दिया।