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भक्तों ने अमृत कथा का किया पान

जमानिया(गाजीपुर)। राधाकृष्ण मंदिर देवा बैरनपुर के प्रांगण में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर आयोजित छह दिवसीय संगीतमय रामकथा के विश्राम दिवस की कथा में कथावाचक अखिलेश महाराज ने कहा हम परमात्मा को जो भाव समर्पित करते हैं, जिस अनुराग से हम उन्हें याद करते हैं वही भाव से उसी अनुराग से परमात्मा भी हमारे को प्रेम करते और अपनी कृपा से ओतप्रोत कर देते हैं।

भरत जी ने श्रीराम जी के प्रति जो समर्पण का भाव अपने जीवन में पालन किया, रामजी के लिए अपनी माता का भी त्याग कर दिया, पिता द्वारा प्रदत्त अयोध्या जैसे समृद्ध साम्राज्य को भी यह सोचकर ठुकरा दिया कि यह राज्य और सिंहासन तो भैया रामजी का है तो रामजी ने भी भरत को अपने हृदय में बसाये रखे और अपने प्राणों से भी ज्यादा प्यार दिया।
साधू -संत, वेद -पुराण, शेष, शारदा इत्यादि भी भरत जी के चरित्र के बिषय में कुछ कहने की सामर्थ्य नहीं रखते।
महाराज जी ने आगे कहा कि सारा संसार,चर -अचर भगवान राम के नाम का जाप किया करते हैं लेकिन खुद रामजी निसि दिन भरत भरत भरत जपा करते हैं।
संसार के समस्त भाई आपस में संपत्ति का बंटवारा करते हैं, संपत्ति के लिए विवाद करते हैं लेकिन धन्य हैं भरत जी जिन्होंने भाई की संपत्ति नहीं अपितु विपत्ति का बंटवारा करने का कार्य किया।
श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर आयोजित छह दिवसीय संगीतमय रामकथा के छठे दिवस पर गोलोकवासी संत राघवाचार्य राहुल महाराज को याद करते हुए कहा गया कि यह पहली धर्म सभा है, धार्मिक आयोजन राधाकृष्ण मंदिर देवा बैरनपुर के प्रांगण में हो रहा है जिसमें राहुल महाराज पार्थिव शरीर से तो मौजूद नहीं लेकिन सूक्ष्म रूप से उनकी उपस्थिति है और इस महोत्सव की परम्परा को कायम रखने के लिए आयोजकों को धन्यवाद दे रहे हैं। कथा मे शिवजी महराज, पियका पाण्डेय ने कथा अमृत पान कराया।