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संतुलित आहार के द्वारा दुधारू पशुओं में दूध उत्पादन बढ़ाये

गाजीपुर। आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय से संबद्ध कृषि विज्ञान केंद्र आकुशपुर गाजीपुर के द्वारा पशुपालन विभाग के सहयोग से प्रसार कर्मियों के लिए “दुधारू पशुओं के लिए संतुलित आहार ” विषय पर प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।

प्रशिक्षण का उद्घाटन मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ एस.के. रावत के द्वारा किया गया इस प्रशिक्षण में पशुपालन विभाग के 40 चिकित्सक शामिल रहे प्रशिक्षण के दौरान डा.रावत ने प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि पशुओं को संतुलित आहार न मिलना उनकी बीमारी का मुख्य कारण है क्योंकि संतुलित आहार के अभाव में उनका स्वास्थ्य एंव रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है जिससे वह बीमारियों से संक्रमित हो जाते है, इसलिए पशुओं के आहार प्रबन्धन पर विशेष ध्यान देना चाहिए। प्रशिक्षण के दौरान कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ पशुपालन वैज्ञानिक डा. ए.के. सिंह ने संतुलित आहार के महत्व एवं उसको बनाने की तकनीकी के बारे में चिकित्सकों से जानकारी साझा किया। पशुपालक भाई हरे चारे के लिए सुडान चरी, उर्द मूंग एवं लोबिया की बुआई करें। डॉ.सिंह के अनुसार तेज धूप के कारण वातावरण का तापमान अधिक हो जाता है तो पशुओं की पाचन क्रिया सुस्त पड़ जाती है तथा पशु चारा दाना कम खाने लगता है। एसी स्थिति में सुपाच्य पौष्टिक हरे चारे की व्यवस्था कर के काफी हद तक इस समस्या से निजात संभव है। पशुओं के आहार में भरपुर मौसमी हरे चारे,पौष्टिक दाना मिश्रण एवं उचित मात्रा में पानी पिलाया जाय तो दूध उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। एक दुधारू गाय /भैंस को निर्वाह के लिए हर रोज 5 कि.ग्रा भूसा के साथ 15 कि.ग्रा लोबिया/ बरसीम या 3 कि.ग्रा भूसा के साथ 20 कि.ग्रा ज्वार/बाजरा/ मक्का के हरे चारे के साथ 1.0 कि.ग्रा दाना मिश्रण देना चाहिए।
अगर हरा चारा उपलब्ध नहीं है तो 8-9 कि.ग्रा भूसे के साथ 2.0 किलोग्राम दाना मिश्रण एवं 1.0 किलोग्राम शीरा देना चाहिए। इसके अलावा प्रत्येक प्रति लीटर दुग्ध उत्पादन के लिए 350 ग्राम दाना मिश्रण की मात्रा बढ़ाते जाना चाहिए , साथ ही 50 ग्राम खनिज तत्व एवं 30 ग्राम नमक देना चाहिए। पशुओं के चारे दाने में खनिज तत्व एवं नमक के ना होने से पशुओं में बाँझपन, समय से गर्भ धारण न करना, और मिल्क फीवर की बीमारी आदि की समस्या बढ़ जाती है।
10 किलो दाना बनाने की विधि :

अनाज गेहूं/जौ/ज्वार/ बाजरा 4.0 किग्रा + 3.0 किग्रा खली+ 1.0 किग्रा दाल की चुन्नी+ 1.7 किग्रा गेहूं का चोकर+ 20 ग्राम खनिज तत्व +10 ग्राम नमक
प्रशिक्षण में डा नरेंद्र प्रताप ने पशुओं के आवास के साफ-सफाई में प्रयोग होने वाले रसायनिक तत्वों के बारे में बताया तथा साथ ही कहा कि भूसे , दाने को धुप मे सुखाकर पशुओं को खिलाना चाहिए , डा अविनाश राय ने पशुओं के चारा भूसा, दाना में बरसात में पनपने वाले फंफूद से बचाव के तरीके बताएं।