गाजीपुर 14 सितम्बर, 2022 (सू.वि)। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में जनपद न्यायाधीश के निर्देशन में 14.09.2022 को सायं 04ः30 बजे जनपद न्यायालय गाजीपुर के दसकक्षीय सभागार में “हिंदी दिवस” के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
सुरेन्द्र सिंह-प्प्ए जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, गाजीपुर द्वारा बताया गया कि भारत जैसे विशाल देश में अनेक भाषा, जाति, धर्म के लोग रहते है। इस देश के लोगो का रिश्ता एक राज्य से दूसरे राज्य के साथ जुड़ा हुआ है जैसे व्यापार और संस्कृति के कारण हम सभी लोग एक दूसरे के साथ जुड़े हुए है और इसके साथ उन सभी के बीच सही प्रकार के व्यवहारिकता को कायम रखने के लिए एक ऐसी भाषा होनी चाहिए जो सबको समझ मे भी आये और सबको आसान भी हो। हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जो लिखने, बोलने तथा समझने में सरल भाषा है। हिंदी दिवस इसलिए मनाया जाता है कि हिंदी का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार हो तथा सम्मान हो, क्योंकि यही हमारी पहचान है और स्वाभिमान है। हिन्दी हमारे देश की संस्कृति एवं संस्कारों का प्रतिबिम्ब है तथा राष्ट्र की एकता, अखण्डता व बंधुत्व के लिए राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी भाषा की महानता होनी चाहिए।
संजय कुमार यादव-प्ए अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, कक्ष सं0-3 गाजीपुर द्वारा बताया गया कि भाषा एक विचार अभिव्यक्ति का माध्यम है। जैसा कि विदित है कि एक अबोध बालक की तरह जिस प्रकार से अपनी अभिव्यक्ति रख पाते है उसी प्रकार हम अपनी सम्पूर्ण भाव-भंगिमाओ को किसी के सम्मुख प्रस्तुत करते है। श्री दुर्गेश, स्पेशल जज (ई0सी0 एक्ट) गाजीपुर द्वारा बताया गया कि 14 सितम्बर, 1949 को संविधान सभा द्वारा आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी (देवनागरी लिपि में लिखी गई) के अनुकूलन को चिन्हित करने के लिए हर साल 14 सितम्बर को मनाया जाता है। स्वप्न आनन्द, सिविल जज (वरिष्ठ संवर्ग) गाजीपुर द्वारा बताया गया कि इसका मुख्य उद्देश्य वर्ष में एक दिन इस बात से लोगों को रूबरू कराना है कि जब तक वे हिन्दी का उपयोग पूरी तरह से नही करेंगे तब तक हिन्दी भाषा का विकास नही हो सकता है। इस एक दिन सभी सरकारी कार्यालयों में अंग्रेजी के स्थान पर हिन्दी का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। कामायनी दूबे, पूर्णकालिक सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, गाजीपुर द्वारा बताया गया कि हिंदी देश की पहली और विश्व की ऐसी तीसरी भाषा है, जिसे सबसे ज्यादा बोला जाता है। भारत में 70 फीसदी से भी ज्यादा लोग हिंदी बोलते है। क्योंकि भाषा से विचारों का आदान-प्रदान होता है। भारत के हर प्रांत में बोली जाने वाली भाषाएं भिन्न-भिन्न होने पर भी आचार-विचार में समानता के कारण राष्ट्रीय एकता के लिए सहायक और पोषक बन गई है। इस अवसर पर न्यायिक अधिकारीगण एवं कर्मचारीगण उपस्थित थे।