जमानियां (गाजीपुर)। हनुमान जयंती के अवसर पर रविवार को महावीर मंदिर ढढ़नी पूरा के प्रांगण में आयोजित त्रिदिवसीय श्रीरामकथा के तीसरे दिन कथा सुनाते हुए राधेश्याम महाराज ने कहा कि हनुमान जी अशोक वृक्ष के पत्तों में छिपे बैठे हैं और सोच रहे हैं कि किस प्रकार मां सीता के सम्मुख प्रकट होऊं, तभी रावण मंदोदरी आदि रानियों के साथ वहां आ गया।
साम, दान,भय दिखाकर अपनी बात मानने के लिए कहता है लेकिन सीता जी ने उसको जब जुगनू और रामजी को सूर्य कहा तब रावण तलवार लेकर सीता जी को मारने दौड़ा। ऊपर पेड के पत्तों में छिपे बैठे हनुमान जी ने सोचा कि अब नीचे कूद जाऊं और रावण के हाथ से तलवार छीनकर उसी का गर्दन काट डालूं। यहां पर सीताजी की रक्षा करने वाला कोई है भी नहीं। तब तक देखते हैं कि मंदोदरी आगे बढ़कर रावण के हाथ से तलवार छीन लेती है और बहुत तरह से नीति की बात कहकर रावण को साथ लेकर वापस महल लौट गयी। हनुमान जी ने भगवान की महिमा को प्रणाम किया कि धन्य हैं आप,जिसे आप बचाना चाहे उसे किसी भी को माध्यम बनाकर बचा सकते हैं, यहां तक कि विरोधी पक्ष से ही किसी को सहायता के लिए आगे बढ़ा देंगे। समारोह मैं चंद्रेश महाराज, महामंडलेश्वर त्यागी महाराज कैलाश यादव,बुच्चा यादव, राधेश्याम चौबे और विनोद श्रीवास्तव ने भी कथा अमृत पान कराया। आयोजक हनुमत सेवा मंडल के अध्यक्ष संजय राय ने आभार व्यक्त करते हुए साधु संतों को अंग वस्त्र से सम्मानित किया