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नहाय खाय के साथ शुरू हुआ लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा

गाजीपुर। लोक आस्था का चार दिनों का महापर्व छठ पूजा की शुरुआत शुक्रवार को नहाय खाय के साथ शुरू हो गया है। नहाय खाय के दिन को कुछ लोग कद्दू भात का दिन भी कहते है। व्रती लोग पूरी शुद्धता के साथ स्नान कर नहाय खाय का प्रसाद बनाते है जिसमें अरवा चावल का भात, चना में कद्दू मिला हुआ दाल बनाया जाता है व लौकी की सब्जी, नया आलू और गोभी की सब्जी के साथ कई जगह अगस्त के फूल का पकौड़ा भी बनता है।

आज से इस महापर्व की शुरुआत हो गई है जो आज से चार दिनों तक चलेगा। छठ पूजा का पर्व कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। 30 अक्टूबर दिन रविवार को अस्ताचल सूर्य को अर्ध्य दिया जायेगा तथा 31 अक्टूबर दिन सोमवार को उदयाचल भगवान भास्कर को अर्ध्य देकर छठ पूजा सम्पन्न होगा। इस त्योहार को सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। छठ पूजा का पर्व संतान के लिए रखा जाता है। यह 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है।
नहाय खाय के दिन बने प्रसाद में लहसुन-प्याज पर प्रतिबंध होता है। बैगन या बाकी अन्य सब्जियों को नहाय खाय के प्रसाद से दूर रखा जाता है। छठ व्रती प्रसाद बनाने के बाद पहले भगवान सूर्य की आराधना करते हैं उसके बाद नहाय खाय का प्रसाद ग्रहण करते हैं। छठ व्रती के प्रसाद ग्रहण के बाद ही परिवार के अन्य सदस्य प्रसाद को ग्रहण करते हैं।

गंगा घाट पर पूजा करती व्रती महिलाए

छठ पूजा की शुरुआत
ऐसा माना जाता है कि छठ पूजा की शुरुआत से भगवान राम जुड़े हुए हैं। ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान राम अयोध्या लौटे तो उन्होंने और उनकी पत्नी सीता ने सूर्य देव के सम्मान में व्रत रखा और डूबते सूर्य के साथ ही इसे तोड़ा। यह एक ऐसा अनुष्ठान है जिसे बाद में छठ पूजा में विकसित किया गया।

छठ पूजा का व्रत

पहला दिन- नहाय खाय

नहाय खाय से छठ पूजा की शुरुआत होती है। इस दिन व्रती नदी में स्नान करते हैं इसके बाद सिर्फ एक समय का ही खाना खाया जाता है। नहाय खाय 28 अक्टूबर शुक्रवार को है।
दूसरा दिन- खरना
छठ का दूसरा दिन खरना कहलाता है। इस दिन भोग तैयार किया जाता है। शाम के समय मीठा भात या लौकी की खिचड़ी खाई जाती है। व्रत का तीसरा दिन दूसरे दिन के प्रसाद के ठीक बाद शुरू हो जाता है। खरना 29 अक्टूबर को है।
तीसरा दिन- अर्घ्य
छठ पूजा में तीसरे दिन को सबसे प्रमुख माना जाता है। इस मौके पर शाम के समय भगवान सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है और बांस की टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि से अर्घ्य के सूप को सजाया जाता है। इसके बाद, व्रती अपने परिवार के साथ मिलकर सूर्यदेव को अर्घ्य देते हैं और इस दिन डूबते सूर्य की आराधना की जाती है। छठ पूजा का पहला अर्घ्य इस साल 30 अक्टूबर को दिया जाएगा। इस दिन सूर्यास्त का समय 05 बजकर 34 मिनट से शुरू होगा।

चौथा दिन- उषा अर्घ्य
चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। ये अर्घ्य लगभग 36 घंटे के व्रत के बाद दिया जाता है। 31 अक्टूबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इस दिन सूर्योदय 6 बजकर 27 मिनट पर होगा। इसके बाद व्रती के पारण करने के बाद व्रत का समापन होगा।
छठ पूजा के दिन इन बातों का रखें ध्यान
इस दिन जरूरतमंदों और गरीब लोगों की मदद करनी चाहिए। छठ पूजा का प्रसाद बनाते समय नमकीन वस्तुओं को हाथ नहीं लगाना चाहिए। भगवान सूर्य को स्टील, प्लास्टिक, शीशे, चांदी आदि के बर्तन से अर्घ्य नहीं देना चाहिए। इस दिन गरीब लोगों में खाना बांटा जाए तो छठ माता हर मनोकामना पूरी करती हैं।

छठ के दिन क्या उपाय करने चाहिए
जो लोग संतान प्राप्ति करना चाहते हैं वो लोग छठ के दिन 108 बार इस मंत्र का जाप करें ” ऊं ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम: “।
जिन लोगों की नौकरी नहीं लग रही है या घर में आर्थिक समस्या आ रही है, वो लोग इस दिन सूर्यदेव के मंत्र ” ऊं घृणिः सूर्याय नमः ” का जाप करें।
संतान की सुख समृद्धि के लिए इस दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए और पशु पक्षियों को गेहूं के आटे और गुड़ से बना व्यंजन खिलाना चाहिए।