गाजीपुर। जनपद स्थित आंकुशपुर कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या के अंतर्गत संचालित योजना के तहत जनपद के चयनित विकास खंड के प्रगतिशील कृषकों को गेहूँ की नवीन प्रजाति डी बी डब्लू 187 एवं 222 का बीज गेहूँ प्रदर्शन एवं प्रजाती मुल्यांकन योजना अतंर्गत एक दिवसीय प्रशिक्षण के दौरान वितरित किया गया।
उक्त अवसर पर केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ आर सी वर्मा ने किसानो को इन प्रजातियों के बारे में बताया कि डी बी डब्लू 187 के पौध की ऊंचाई 103 से.मी. जो 120 दिन में पक कर तैयार होती है तथा और इसकी औसत उपज 61.3 कु./हे. के साथ ही यह गेहूँ की एक मात्र प्रजाति है जिसमें आयरन 43.1 पी.पी.एम. तक उपलब्ध होता हैं। वही डी बी डब्लू 222 पौध की ऊंचाई 100 से.मी. होती है एवं यह 142 दिन में तैयार हो जाती है, तना मजबूत होने से गिरने के प्रति सहिष्णु है और इस प्रजाति की औसत उपज – 65 कु./हे. है। यदि किसान भाई समय से बुवाई कर सभी प्रबंधन समुचित ढंग से करे तो इन प्रजातियों से 72 से 82 प्रति हे0 तक का, जो कि इन प्रजातियों की अधिकतम उत्पादन क्षमता है; प्राप्त कर सकते है। प्रशिक्षण के दौरान डॉ जे पी सिंह वरिष्ठ वैज्ञानिक ने किसानों को गेहूँ की फसल उत्पादन एवं प्रबंधन की जानकरी देते हुए कहा कि यदि किसान भाई बुवाई का कार्य नवम्बर के अंतिम सप्ताह तक अवश्य कर ले क्योंकि यदि बुवाई दिसंबर या इसके बाद में करते है तो प्रति सप्ताह 3 से 4 कु० उत्पादन में कमी होती है। केंद्र के वैज्ञानिक डॉ नरेन्द्र प्रताप ने किसानों को संबोधित करते गेहूँ बीज उत्पादन की तकनीकी की जानकारी देते हुए कहा की कैसे किसान भाई अपने प्रक्षेत्र पर बीज का उतपादन कर अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं। मृदा वैज्ञानिक डॉ अविनाश राय ने किसानों को मृदा परिक्षण के महत्व एवं विधि पर प्रकाश डाला और गेहूँ की अच्छी पैदावार के लिए उर्वरकों के संतुलित मात्रा, प्रयोग की विधि एवं समय की जानकरी प्रदान किया साथ ही कृषि अभियंत्रण के वैज्ञानिक डॉ शशांक शेखर ने कृषि में यंत्रीकरण के महत्त्व पर प्रकाश देते हुए गेहूँ की बुवाई के लिए सीड ड्रिल, जीरो फ़र्टि कम सीड ड्रिल, सुपर सीडर के प्रयोग एवं सावधानियों को बतालातें हुए कहा की मशीन से बुवाई करने से पौधे को जमाव के समय उर्वरक प्राप्त होता है जिससे उनका विकास अच्छा होता है, पौधा स्वाथ्य एवं पैदावार में वृद्धि होती है।