गाजीपुर 06 जनवरी 2023 (सू.वि)। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा0 शिवकुमार रावत ने बताया है कि प्रदेश में कामर्शियल लेयर्स फार्म की अवस्थापना एवं ब्रायलर पैरेन्ट फार्म की अवस्थापना को बढ़ावा देने हेतु उत्तर प्रदेश कुक्कुट विकास नीति 2022 का प्रख्यापन हेतु पशुपालन को लघु उद्योग के रूप में विकसित करना वर्तमान सरकार की प्राथमिकताओं में है।
पशुपालन के क्षेत्र में कुक्कुट विकास को प्राथमिकता देना अत्यन्त आवश्यक है, क्योंकि वर्तमान समय में प्रदेश में 1.60 करोड़ अण्डों का उत्पादन प्रतिदिन किया जा रहा है, जबकि 2.50 करोड़ अण्डों का उपभोग प्रतिदिन किया जाता है, जिसकी पूर्ति हेतु लगभग 90- लाख अण्डा प्रतिदिन अन्य प्रदेशों से आयात किया जाता है। प्रदेश में जनसंख्या वृद्धि के फलस्वरूप अण्डे की मांग में निरन्तर वृद्धि भी हो रही है। इसी प्रकार बायलर मांस की आवश्यकता की पूर्ति के लिए प्रदेश में लगभग 15 करोड एक दिवसीय ब्रायलर चूजे प्रतिवर्ष अन्य प्रदेशों से आयात किये जाते है। कुक्कुट उत्पादन में मांग के सापेक्ष उपलब्धता में अन्तर (गैप) को पूर्ण कर प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने तथा निर्यातोन्मुखी बनाने की दृष्टि से उत्तर प्रदेश कुक्कुट विकास नीति-2022 प्रख्यापित की जा रही है। उक्त नीति के अन्तर्गत आगामी 5 वर्षों में 01 करोड़ 90 लाख अण्डा प्रतिदिन उत्पादन क्षमता के कामर्शियल लेयर फार्म की स्थापना तथा 01 करोड़ 72 लाख ब्रायलर चूजों के वार्षिक उत्पादन हेतु ब्रायलर पेरेन्ट फार्म की स्थापना किया जाना लक्षित है। यह योजना उत्तर प्रदेश सरकार की ज्तपससपवद क्वससंत म्बवदवउल के लक्ष्य प्राप्ति में सहायक होगी तथा इससे प्राथमिक क्षेत्र में राजगार के अवसर भी सृजित होगें। यह नीति प्रख्यापन के दिनांक से आगामी 05 वर्षाे तक प्रभावी रहेगी।
इनका उद्देश्य-प्रदेश में जनमानस के लिए प्रोटीन युक्त आहार हेतु अण्डे की उत्पलब्धता सुनिश्चित कराते हुए प्रदेश को 05 वर्षों में अण्डा उत्पादन में आत्मनिर्भर/निर्यातोन्मुखी बनाना, प्रदेश में जनमानस के लिए कुक्कुट मांस की उपलब्धता मॉग के अनुसार सुनिश्चित कराना जिससे अन्य प्रदेशों से होने वाले आयात पर निर्भरता कम हो सके, पोषण सुरक्षा (छनजतपजपवदंस ैमबनतपजल) को सुनिश्चित करना। प्रदेश में पशुपालन के क्षेत्र में उद्यमिता विकास कराते हुए आगामी 05 वर्षाे में 1500 करोड़ रूपये का निवेश सुनिश्चित कराना। प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार सृजन करते हुए कुक्कुट पालन द्वारा किसानों की आय को न्यूनतम दो गुना करना।
कुक्कुट विकास- नीति 2022 के अन्तर्गत दो प्रकार की परियोजनाएँ लाभार्थियों को अनुमन्य होगी। कामर्शियल लेयर फार्म की स्थापना, ब्रायलर पैरेन्ट फार्म की स्थापना। कार्शियल लेयर फार्म की स्थापना के बारे में बताया गया कि 19 हजार पक्षी एवं 30 हजार पक्षी क्षमता एवं 60 हजार पक्षी क्षमता कामर्शियल लेयर इकाई स्थापित किया जाना है, जिसकी प्रति इकाई परियोजना लागत कमशः रूपये 99.53 लाख रूपये 256.69 लाख एवं रूपये 491.90 लाख है। उपर्युक्त इकाईयों पर लाभार्थी को बैंक से प्राप्त ऋण पर 05 वर्ष (60 माह) तक 7 प्रतिशत ब्याज की प्रतिपूर्ति लाभार्थी को अनुमन्य होगी। परियोजनाओं का वित्तपोषण 30 प्रतिशत मार्जिन मनी तथा 70 प्रतिशत अधिकतम ऋण पर ब्याज के अनुपात में होगी। ब्रायलर पैरेन्ट फार्म की स्थापना- एक इकाई में 10 हजार पैरेन्ट ब्रायलर पक्षी रखे जायेंगे। जिसमें 10 हजार पैरेन्ट ब्रायलर पक्षी इकाई की स्थापना लागत 289.07 लाख है। उपर्युक्त इकाई पर लाभार्थी को बैंक से प्राप्त ऋण पर 05 वर्ष (80 माह) तक 7 प्रतिशत ब्याज की प्रतिपूर्ति लाभार्थी को अनुमन्य होगी। परियोजनाओं का वित्तपोषण 30 प्रतिशत मार्जिन मनी तथा 70 प्रतिशत ऋण के अनुपात में होगी। प्रस्तावित नीति में ब्याज उपादन पर 05 वर्षाे में लगभग रू० 259.00 करोड़ का व्ययभार अनुमानित है। 10 वर्षाे तक इलेक्ट्रीसिटी ड्यूटी की शत-प्रतिशत प्रतिपूर्ति पशुधन विभाग के बजट से की जायेगी। स्टाम्प शुल्क हेतु नीति के अन्तर्गत स्थापित होने वाली इकाई हेतु कय की गयी भूमि अथवा लीज पर ली गयी भूमि पर निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार स्टाम्प शुल्क में शत-प्रतिशत छूट दी जायेगी।
योजना की पात्रता- योजना के लाभार्थी को प्रदेश का निवासी होना आवश्यक है। योजना के अन्तर्गत मार्च 2013 से मार्च 2022 के मध्य लाभान्वित हुए है, वह इस योजना के पात्र इस शर्त के अधीन होगें यदि उनके द्वारा योजना अवधि में कुल 30,000 पक्षी क्षमता की लेयर इकाई / इकाईयों अथवा 10,000 क्षमता की ब्रायलर इकाई से अधिक का योजनान्तर्गत लाभ नहीं लिया गया है। 10 हजार कामर्शियल लेयर इकाई के लिए 01 एकड़, 30 हजार कामर्शियल लेयर इकाई के लिए 2.5 एकड़ 60 हजार कामर्शियल लेयर इकाई के लिए 4 एकड़ एवं 10 हजार बायलर पैरेन्ट के लिए 4 एकड़ भूमि लाभार्थी के स्वामित्व में अथवा लीज पर होना अनिवार्य है। कुक्कुट विकास नीति के अन्तर्गत किये जाने वाले समस्त क्रियाकलापो को पशुपालन विभाग के एक डेडीकेटड पोर्टल द्वारा संचालित किया जायेगा। कुक्कुट विकास नीति के लाभार्थियों द्वारा समस्त आवेदन इस पोर्टल पर किये जायेंगें।