मतसा (गाजीपुर)। क्षेत्र के ग्राम सब्बलपुर रामलीला मैदान में श्रीमद् भागवत कथा में पंडित चंद्रेश महाराज ने कहा कि समर्थ से ज्यादा जो खर्च करता है महामना की श्रेणी में होता है। आशीर्वाद मांगा नहीं जाता है, मिल जाता है। भगवान को लालच देकर मांगा गया बर कभी पूर्व नहीं नहीं होता है।
गुप्तदान सबसे बड़ा दान होता है। दान कोई मंदिर में देने से नहीं होता है। नदियों में मछलियों को आटे की गोली खिलाइए, पक्षियों को दाना खिलाइए यह बड़ा दान है। हाथों की सेवा दान से है। यज्ञ में किया गया सेवा वह गरीबों की सेवा से बड़ा दान कुछ नहीं है। श्रीमद् भागवत कथा में भगवान श्री कृष्ण ने तो कर्ण से कवच कुंडल दान में मांगा था, कर्ण जानता था कि अगर कवच कुंडल दे दिया गया तो मैं नहीं बचूगा किंतु भगवान ने दान मांगा है तो दान दिया। बेटो के प्रति बेटियों को सम्मान ज्यादा देना चाहिए। समाज में बेटियां दो घरों को रोशन करती है बेटा तो जिंदगी भर साथ रहेगा। बेटी तो कुछ वर्ष ही रहेगी। कन्या का दान सौभाग्य हर किसी को नहीं मिलती है।