गाजीपुर 29 मई 2023 (सू0वि0)। जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि किसान भाइयों खरीफ फसलों की बुवाई का समय आने वाला है, इसलिए समस्त कृषक भाई फसलों की बुवाई से पूर्व फसलों में कीट रोग एवं खरपतवारों से होने वाली क्षति एवं कृषि रक्षा रसायनों के अविवेकपूर्ण प्रयोग से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव के दृष्टिगत परम्परागत कृषि विधियों तथा मेंढों की साफ-सफाई, ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई अवशेष प्रबन्धन के साथ-साथ भूमिशोधन एवं बीजशोधन को अपनाया जाना नितान्त आवश्यक है, इससे कीट रोग एवं खरपतवार का प्रकोप कम होने के साथ उत्पादन में बृद्धि होती है, तथा उत्पादन लागत कम होने से आय में वृद्धि होती है। ग्रीष्मकालीन कीट रोग तथा खरपतवार प्रबन्धन मानसून आने से पूर्व मई-जून महीने में किया जाना है। मेंड़ों पर उगने वाले खरपतवार की सफाई से फसलों एवं घासों के मध्य खाद एवं उर्वरक की प्रतिस्पर्धा कम हो जाती है, तथा आगामी बोयी जाने वाली फसल में इन्हें (खरपतवार) फैलने से रोका जा सकता है। मेंड़ों पर उगे हुए खरपतवारों को नष्ट करने से हानिकारक कीटों तथा सूक्ष्म जीवों के आश्रय नष्ट हो जाते हैं, जिससे अगली फसल में इनका प्रकोप कम होता है। ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करने से मृदा संरचना में सुधार होने के साथ-साथ मृदा जल धारण क्षमता में बृद्धि होती है, जो फसलों के बढ़वार के लिए उपयोगी होती है। मृदा के अन्दर छिपे हुए हानिकारक कीट जैसे दीमक, सफेद गिडार, कटुआ, बीटल एवं मैपट के अण्डे, लार्वा व प्यूमा नष्ट हो जाते है, जिससे अग्रिम फसल में कीटों का प्रकोप कम हो जाता है। गहरी जुताई के बाद खरपतवारों जैसे दृपथरचट्टा, जंगली चौराई, दुध्धी, पान पत्ता, रसभरी, सावा, मकरा आदि के बीज का जमाव कम होता है।
कृषक बन्धु ध्यान दे
- by ब्यूरो