जमानियां। त्याग और बलिदान के पर्व मोहर्रम को लेकर मुस्लिम नव जवान अखाड़ा जुलूस दुरहिया मोड़ से लेकर कस्बा बाजार होते मोहल्ला सैयद बाड़ा इमाम चौक पहुंच कर मैदान में लाठी से करतब दिखाया।
इस दौरान अखाड़ा जुलूस में शामिल मुस्लिम नव जवान या अली या हुसैन के नारों के साथ अखाड़ा जुलूस निकाला। इस दौरान नगर पालिका परिषद द्वारा नगर कस्बा व गलियों की साफ सफाई कराने के बाद चुने का छिड़काव करवाया ताकि किसी भी अखाड़ा जुलूस में शामिल लोगों को गंदगी का सामना करना ना पड़े। इसी तरह स्टेशन बाजार भी मोहर्रम की पहली तारीख को अखाड़ा जुलूस के दौरान या अली या हुसैन के नारों के साथ निकाला गया। पूरा माहौल या अली या हुसैन से इलाका गूंज उठा। मुहर्रम जुलूस में इस्लाम धर्मावलंबियों के साथ साथ विभिन्न धर्म के लोग भी शामिल हुए। मुस्लिम नव जवान लाठी सहित आग से कई करतब दिखाए। बताया जाता है कि हजरत इमाम हुसैन अपने परिवार के साथ कर्बला के मैदान में शहीद हाे गए थे। लेकिन बातील के आगे अपने सिर को नहीं झुकाया। इस्लाम को मानने वाले लोग हजरत हुसैन के याद में अखाड़ा जुलूस के साथ मैदान-ए-जंग का दृश्य बड़े ही आकर्षक और अनोखे अंदाज में पेश किया। इस दौरान अखाड़ा जुलूस के दौरान सुरक्षा व्यवस्था का व्यापक इंतजाम किए गए थे। थाना कोतवाली प्रभारी महेंद्र सिंह मय पुलिस बल के साथ शांति व्यवस्था बनाने में लगे रहे। विधि व्यवस्था को लेकर उपजिलाधिकारी डॉ हर्षिता तिवारी ने अखाड़ा जुलूस निकलने वाले स्थानों और ताजिया चौक स्थानों का जायजा लिया। बता दें कि मोहर्रम पर्व पर रात्रि समय अपने चिन्हित स्थानों से लाठी खेलते और प्रदर्शन करते अखाड़ा जुलूस के साथ चलते है। अखाड़ा जुलूस में हजारों की संख्या में मुस्लिम नव जवानों के साथ अखाड़ा जुलूस को देखने के लिए हिंदू भाई भी काफी संख्या में शामिल रहते है। और प्रदर्शन करने वाले मुस्लिम नव जवानों का हौसला अफजाई करते रहते है। निसार वारिस खान ने बताते हुए कहा कि लाठी के द्वारा मातम करना 50,60 साल पुरानी होने के साथ मुस्लिम युवक हैरत अंगेज खेल का प्रदर्शन करते आ रहे है। इस दौरान कोतवाली पुलिस कर्मियों व अधिकारियों का भरपूर सहयोग रहता है तथा पर्व को शांतिपूर्ण संपन्न कराने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते है।