गाजीपुर 03 अगस्त, 2023 (सू0वि0)। राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत गुरुवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय सभागार में सामूहिक दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम को लेकर मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला आयोजित हुई द्य कार्यशाला में सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार), पाथ व पीसीआई संस्था ने महत्वपूर्ण सहयोग किया।
कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ देश दीपक पाल ने कहा कि देश को वर्ष 2030 तक फाइलेरिया मुक्त बनाने की दिशा में सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। इसके लिए जनपद में भी तेजी से प्रयास किए जा रहे हैं। इसी के तहत 10 अगस्त से जनपद के सभी 16 ब्लॉक व नगरीय क्षेत्रों में एमडीए राउंडसंचालित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया (फीलपाँव या हाथीपाँव) वाहक मच्छर क्यूलेक्स के काटने के बाद इसके लक्षण पांच से 15 साल के बाद दिखाई देते हैं। इसलिए एक साल से ऊपर केसभी बच्चों, किशोर-किशोरियों, वयस्कों, वृद्धजनों को फाइलेरिया से बचाव की दवा जरूरखानी चाहिए। यह दवा स्वास्थ्यकर्मियों और आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा घर-घर जाकर खिलाई जाएगी। स्वास्थ्यकर्मी और आशा कार्यकर्ता यह दवा लोगों को अपने समक्ष खिलाएँगी। यह दवा खाली पेट नहीं खानी है। साथ ही यह दवा एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और गंभीर रूप से बीमारव्यक्तियों को नहीं खानी है। इस दवा के साल में एक बार और पाँच साल लगातार सेवन करने से हम फाइलेरिया से सुरक्षित बन सकते हैं। इसके लिए जन सहभागिता की बेहद आवश्यकता है। सीएमओ ने मीडिया बंधुओं के माध्यम से जनमानस से अपील की कि फाइलेरिया से बचाव के लिए दवा का सेवन जरूर करें। कार्यशाला में सीएमओ ने अन्य मच्छर जनित संचारी रोगों जैसे डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया आदि से बचाव के बारे में भीजानकारी दी। कार्यक्रम के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ जेएन सिंह ने कहा कि एक बार फाइलेरिया (हाथीपाँव) हो जाने के बाद यह पूरी तरह से ठीक नहीं होता है। सभी से अपील है कि इस अभियान में सरकार का सहयोग करें। खुद दवा खाएं और अपने आस-पास के लोगों को भी दवा खाने के लिए प्रेरित करें।
जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) मनोज कुमार ने कहा कि किसी भी संदेश को जनमानस तक पहुंचाने में मीडिया की अहम भूमिका होती है। इसी उद्देश्य से आज आगामी फाइलेरिया एमडीए कार्यक्रम को लेकर मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया रोग से प्रभावित अंग के साफ-सफाई और व्यायाम से इसे सिर्फ नियंत्रित किया जा सकता है। एमडीए कार्यक्रम में स्वास्थ्य कर्मियों के माध्यम से बूथ लगा कर एवं घर-घर जाकर इन दवाओं का सेवन सुनिश्चित करवाया जाएगा। दवाओं का वितरण बिल्कुल भी नहीं किया जायेगा। इन दवाओं का सेवन खाली पेट नहीं करना है। यह दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं। हालांकि इन दवाओं का कोई विपरीत प्रभाव नहीं है। फिर भी किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैंतो यह इस बात का प्रतीक हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद हैं। ऐसे लक्षण इन दवाओं के सेवन के उपरांत शरीर के भीतर परजीवियों के मरने के कारण उत्पन्न होते हैं। सामान्यतः यहलक्षण स्वतः समाप्त हो जाते हैं। परंतु ऐसी किसी भी परिस्थिति के लिए प्रशिक्षित रैपिड रिस्पॉन्स टीम (आरआरटी) भी बनाई गई है। आवश्यकता पड़ने पर आरआरटी को उपचार के लिए तुरंत बुलाया जा सकता है। कार्यशाला में फाइलेरिया रोगी सहायता समूह नेटवर्क सदस्य कासिमाबाद निवासी सरिता देवी और भांवरकोल निवासी सुग्रीव ने अपने अनुभवों को साझा किया। उन्होंने बताया कि वह नेटवर्क के साथ करीब एक साल से जुड़ीं हैं। नेटवर्क के साथ जुड़ने और नियमित व्यायाम करने से उनके पैरों की सूजन बहुत कम हो गई है। उन्हें पता नहीं था कि कई साल पहले हुई यह बीमारी इतना गंभीर रूप ले सकती है। इस अवसर पर समस्त उप व अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, पाथ से डॉ अबु कलीम व अरुण कुमार, पीसीआई से रामकृष्ण वर्मा, सीफार, डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ के प्रतिनिधि एवं अन्य अधिकारी व स्वास्थ्यकर्मी मौजूद रहे।