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भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन पर सजी दुकाने, शुभ मुहूर्त पर विद्वानों की राय

जमानियाँ (गाजीपुर)। भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन त्योहार को लेकर नगर और ग्रामीण क्षेत्रों में रंगबिरंगी राखियों से दुकानें सज गई हैं। दुकानदारों ने एक से बढ़कर एक फैंसी राखी मंगाई है। बच्चों के लिए कार्टून, इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम व अन्य प्रकार की राखियां तथा बड़े लोगों के लिए नग और स्टोन वाली राखियां दुकानों पर देखी जा रही है।

रक्षाबंधन का त्योहार इस वर्ष 30 अगस्त को मनाया जाएगा लेकिन कुछ लोग बता रहे है कि यह त्योहार 31 अगस्त को भी है। इससे लोगों में त्योहार को लेकर उहापोह की स्थिति बनी हुई है। रविवार को कस्बा बाजार के ब्लाक तिराहा से लेकर नपा कार्यालय तक व बलुआ घाट रोड़ तथा स्टेशन बाजार के गांधी चौक, बडेसर मोड़, बैक ऑफ बडौदा तिराहा, बरुइन मोड़ समेत अन्य स्थानों और प्रमुख चौराहों पर रंगबिरंगी राखियों से दुकानें सज गई हैं। इन दुकानों पर सुबह से देर शाम तक महिलाएं राखी की खरीदारी करती देखी गईं। दुकानदारों ने अधिक से अधिक ग्राहकों को लुभाने के लिए अपनी दुकानों को आकर्षक ढंग से सजाया है। इसके अलावा विभिन्न राखियां दुुकानों में सजाई गई हैं। बाजार में पांच रुपये से लेकर 450 रुपये तक की राखियां उपलब्ध हैं। रक्षाबंधन के लिए मिठाइयों की दुकानें सज गई हैं। लोग मिठाई लेकर रिश्तेदारों के घर पहुंच रहे हैं। दुकानदार गोपाल जायसवाल ने बताया कि इस समय नग व ब्रेसलेट की राखियाँ ज्यादा पसंद की जा रही है वही बच्चें कार्टून व इलेक्ट्रानिक सिस्टम की राखियाँ पसंद कर रहे है। ऑनलाइन खरीददारी होने से बाजार पर असर स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है। अभी तक अनुमान के सापेक्ष बहुत ही कम ग्राहक राखी खरीद रहे है।

आचार्य पं. संतोष पाण्डेय के अनुसार रक्षा बंधन मुहूर्त: 
भद्रा 30 अगस्त रात्रि 9:01 तक है। 30 अगस्त को रात्रि 9:02 मिनट बुधवार से लेकर रात्रि 11. 13 मिनट तक शुभ एवं अमृत बेला की चौघड़िया रहेगी जो राखी बांधने के लिए अति शुभ है तथा अगले दिन 31 अगस्त दिन गुरुवार को ब्रम्हमुहूर्त में प्रातः 3:32 मिनट से 4.56 तक लाभ चौघड़िया तथा 6:21 से 7.06 मिनट तक शुभ-चौघड़िया है। इसके पश्चात पूर्णिमा तिथि समाप्त होजायेगी।

आचार्य पं०राममनोज तिवारी के अनुसार श्रावण पूर्णिमा और रक्षाबंधन को लेकर विद्वानों में उहापोह की स्थिति बनी हुई है जो स्वस्थ समाज के लिए खतरा बन रहा है किसी भी त्योहार में भ्रम की स्थिति बनाकर हमारे सनातन धर्म तोड़ने का विधर्मियों का प्लान चल रहा है जो ठीक नही है।
पंचांग शुद्धि और समय के हिसाब से कार्य करना उचित है न कि विवाद करना काशी विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित विश्व पञ्चाङ्ग, महावीर पञ्चाङ्ग और हृषिकेश पञ्चाङ्ग के अनुसार पूर्णिमा बुधवार को 10 बजे के बाद और बृहस्पतिवार को सुबह 8 बजे तक हो रहा है लेकिन उसकी मान्यता उदयातिथि के हिसाब से बृहस्पतिवार को ही माना गया है तथा जब बृहस्पतिवार को उचित समय मिल ही रह है तो रात्रि में रक्षाबन्धन मनाना उचित नही है इसलिए उदयातिथि और पञ्चाङ्ग शुद्धि के हिसाब से 31 अगस्त दिन बृहस्पतिवार को ही रक्षाबंधन का त्योहार सूर्योदय से सूर्यास्त तक मनाया जाएगा। इसमें किसी प्रकार की कोई शास्त्रीय समस्या या विवाद नहीं है।