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प्रशिक्षण के माध्यम से न केवल बेरोजगार युवक युवतियों की कौशलता में गुणवत्ता आती है, इसके अतिरिक्त वे स्वावलंबी भी बनते हैं -डॉ. शशांक सिंह

गाजीपुर। कृषि विज्ञान केंद्र आंकुशपुर गाजीपुर में ग्रामीण युवकों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 21 दिवसीय माली प्रशिक्षण का शुभारंभ किया गया।
आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज, अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र आंकुशपुर गाज़ीपुर के प्रशिक्षण सभागार में 21 दिवसीय माली प्रशिक्षण की शुरुआत की गई। प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कार्यक्रम के संयोजक केंद्र के उद्यान वैज्ञानिक डॉ. शशांक सिंह ने कहा कि प्रशिक्षण के माध्यम से बेरोजगार युवक एवं युवतियाँ न केवल अपने कौशल ज्ञान की गुणवत्ता में सुधार ला सकते हैं, बल्कि परंपरागत पेशे से हटकर इस कौशल ज्ञान का उपयोग स्वावलंबी बनने में कर सकते हैं।

डॉ सिंह ने कहा कि इस प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षणार्थियों को उद्यान की विभिन्न कलाओं जैसे कलमी पौधों को तैयार करना, सब्जियों का पौध तैयार करना, सब्जियों का बीज तैयार करना, संरक्षित खेती आदि पर सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक जानकारी दी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशिक्षण के उपरांत सभी अभ्यर्थियों का मूल्यांकन किया जाएगा। इसमें उत्तीर्ण होने वाले अभ्यर्थियों को केंद्र के द्वारा प्रमाण-पत्र दिया जाएगा। अभियंत्रण वैज्ञानिक डॉ. शशांक शेखर ने प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षुओं को कहां की किसानों को स्वरोजगार से जोड़ने के उद्देश्य से माली प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिसमें नर्सरी के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने ने बताया कि नर्सरी आमदनी का मुख्य स्रोत है इसमें नुकसान होने की संभावना न के बराबर होती है। डॉ शेखर ने ये भी बताया कि बदलते समय में बागवानी से सम्बंधित क्षेत्र में भी काफी बदलाव आया है। इसके जानकारों की काफी मांग बढ़ी है। माली प्रशिक्षण के माध्यम से रोज़गार के सृजन की काफी संभावनाएं है। इसमें कमाई के कई विकल्प सामने आये है। प्रशिक्षुओं के लिए प्रशिक्षण के बाद सिर्फ बागवानी व नर्सरी का ही विकल्प नहीं होता है। वे किसी समारोह, सामाजिक कार्य आदि में भी सजावट का काम कर सकते है।

इसके अलावा बड़े शहरों में आवासीय व व्यवसायिक परिसर के आस पास लॉन आदि बनाने का काम बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। ऐसे में स्वाभाविक है कि इस प्रशिक्षण का महत्व काफी बढ़ गया है। केंद्र के मृदा वैज्ञानिक डॉ अविनाश कुमार राय ने उन्नत तरीके से नर्सरी उत्पादन, नए पौधों का निर्माण, नर्सरी में अलंकृत पौधे, लान तैयार करना, गमलों का मिश्रण बनाना एवं प्रबंधन आदि विषयों पर विस्तृत जानकारी दी। साथ ही साथ उन्होंने प्रशिक्षुओं को प्राकृतिक तरीके से पोषक तत्व प्रबंधन कर पौध व सब्जी उत्पादन के बारे में भी जानकारी दी।