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भीषण भ्रष्टाचार की हो उच्च स्तरीय जांच, रद्द कर दुबारा कराई जाए एनईईटी परीक्षा- भाकपा

गाजीपुर। भाकपा (माले) ने मेडिकल कालेजों में प्रवेश के लिए गत 5 मई को हुई राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (एनईईटी – नीट) को व्यापक छात्रों और न्याय के हित में रद्द कर दोबारा कराने की मांग की है। पार्टी ने परीक्षा में हुए भीषण भ्रष्टाचार की उच्च स्तरीय जांच की मांग भी की है।

जिला मुख्यालय पर कामरेड सरजू पाण्डेय पार्क में देश व्यापी आह्वान के तहत एक दिवसीय धरना के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति के नाम मांग पत्र दिया गया। सभा को सम्बोधित करते हुए भाकपा माले जिला सचिव कामरेड शशीकांत कुशवाहा ने  कहा कि नीट में भ्रष्टाचार के प्रमाण के अलावा बिहार में पेपर लीक के शुरुआती सबूत भी मिले हैं। देशभर में छात्र बड़े पैमाने पर नीट का विरोध कर रहे हैं और कइयों ने न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने भी गड़बड़ी की बात स्वीकार की है। ऐसे में छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न करते हुए, सिर्फ हरियाणा में कुछ छात्रों के लिए नहीं, बल्कि सभी छात्रों के लिए दोबारा परीक्षा कराई जाए।

नीट आयोजित करने वाली संस्था राष्ट्रीय टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) एक असफल व अक्षम संस्था साबित हुई है। इसका ट्रैक रिकॉर्ड बेहद खराब है। इसे भंग किया जाना चाहिए। नीट परीक्षा में हुआ भ्रष्टाचार व्यवस्था जनित है और प्रतियोगी परीक्षाओं को निजीकरण की तरफ ले जाने वाला है। भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में, जहां विभिन्न राज्यों के शिक्षा बोर्ड राज्यों की क्षेत्रीय आवश्यकताओं के अनुरूप शैक्षणिक पाठ्यक्रम तय करते रहे हैं, एक देश, एक परीक्षा के मॉडल की निरर्थकता जाहिर हो गई है। एनटीए द्वारा परीक्षाएं आयोजित कराने के विपरीत विश्वविद्यालयों द्वारा अपनी प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करने की व्यवस्था बनाई जानी चाहिए।

श्री कुशवाहा ने कहा  कि अंग्रेजी की जानीमानी लेखिका प्रतिष्ठित बुकर पुरस्कार प्राप्त अरुंधति रॉय और प्रसिद्ध कश्मीरी राजनीतिक विश्लेषक डॉ शौकत हुसैन पर कुख्यात यूएपीए के तहत मुकदमा चलाने के खिलाफ माले 20 जून को देशव्यापी विरोध दिवस मना रही हैं। कहा कि मोदी सरकार 3.0 की शह पर दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा 10 साल पुराने मामले में यूएपीए जैसे काले कानून के तहत मुकदमा चलाने का दिया गया आदेश अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ और तीसरी बार आई मोदी सरकार के फासीवादी नक्शेकदम पर बढ़ने का संकेत है। विरोध दिवस मनाते हुए भाकपा (माले) दोनों जनप्रिय बुद्धिजीवियों के खिलाफ मुकदमा रद्द करने, दमनकारी कानूनों को खत्म करने और सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा करने की मांग कर रही है।
सभा को प्रमुख रूप से भाकपा माले जिला सचिव कामरेड शशीकांत कुशवाहा, योगेन्द्र भारती, राजेश बनवासी, नन्द किशोर बिन्द, मंजू गोंड, सरोज यादव, सतेन्द्र प्रजापति, प्रमोद कुशवाहा, अमरनाथ मौर्य, बेचु बनवासी, भरत राम, अभिनायक, आदि लोगों ने सम्बोधित किया सभा की अध्यक्षता मोती प्रधान व संचालन मनोज कुशवाहा ने किया।