जमानियां। स्थानीय स्टेशन बाजार स्थित हिंदू स्नातकोत्तर महाविद्यालय के सभागार में शनिवार को ‘बाबू जगजीवन राम’ का लोकार्पण और परिचर्चा आयोजित हुई। यह संकलन सेवानिवृत्त वरिष्ठ आचार्य डां मदनगोपाल सिन्हा का है। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम के अध्यक्ष प्राचार्य प्रो. श्रीनिवास सिंह रहे वहीं मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र सिंह रहे वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में बनारस हिंदू वि.वि. के प्रो. हरिकेश सिंह रहे।
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए उपस्थित विद्वत समाज के लोगों को पुष्प गुच्छ और अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का विषय प्रवर्तन डां मदनगोपाल सिन्हा ने किया उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि बाबू जगजीवन राम भारतीय जनमानस में आज भी छाये हुए हैं। कार्यक्रम की अगली कड़ी में सौरभ साहित्य परिषद के संस्थापक साहित्यकार राजेन्द्र सिंह ने कहा कि बाबू जगजीवन राम भारत की जनता के नेता होने के साथ साथ संत साहित्य के जानकर थे। वहीं हिंदी विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर अखिलेश कुमार शर्मा शास्त्री ने पुस्तक पर प्रकाश डालते हुए कहा कि राजनीति और साहित्य एक सांस्कृतिक उत्पाद है। समाज को रचनाकार के प्रति ऋणी का भाव होना चाहिए। यह पुस्तक स्वातंत्र्योत्तर भारत के राजनीतिक ढांचे एवं भारतीय समाज के बड़े मुद्दों से सीधे टकराता है। बाबू जगजीवन राम सदैव महापुरुषों के बीच संवाद स्थापित करते नजर आते रहेंगे है। उन्होंने कहा कि किताबी ज्ञान के साथ मानवीय मूल्य और नैतिकता की पढ़ाई भी जरूरी है जो हमारे संस्कारों से परिष्कृत होती है। विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित प्रो. हरिकेश सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि बाबू जगजीवन राम को याद करना इस बदलते दौर में हम सबकी जिम्मेदारी है, तभी हम पुराने मूल्यों को सहेज पायेंगे और संवेदनशीलता भी बची रहेगी। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य प्रो. श्रीनिवास सिंह ने बाबू जगजीवन राम को भारत अमूल्य धरोहर बताया और बदलते दौर में ऐसे समाज सुधारक के विचारों को आत्मसात करने की प्रेरणा दी।कार्यक्रम का सफल संचालन डां मदनगोपाल सिन्हा और आभार सेवानिवृत्त प्रो.विमला देवी ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के आचार्य गण एवं छात्र -छात्राएं उपस्थित रहे। इस आशय की जानकारी महाविद्यालय के मीडिया प्रभारी डां अभिषेक तिवारी ने विज्ञप्ति जारी कर दी।