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हिंदू स्नातकोत्तर महाविद्यालय में शिक्षक दिवस एवं हिंदी पखवाडा़ के उपलक्ष्य में संगोष्ठी का आयोजन

जमानियां। हिंदू स्नातकोत्तर महाविद्यालय जमानियां गाजीपुर के सभागार में हिंदी विभाग एवं आईक्यूएसी के संयुक्त तत्वाधान में वैश्विक स्तर पर हिंदी शिक्षण की चुनौतियां, समाधान एवं संभावनाएं शीर्षक पर विचार गोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि साहित्य सौरभ परिषद के संस्थापक शिक्षक वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र सिंह रहे एवं विशिष्ट अतिथि कृतकार्य आचार्य मदनगोपाल सिन्हा रहे। वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य प्रो. एस एन सिंह ने की। कार्यक्रम का शुभारम्भ मां सरस्वती एवं महान शिक्षाविद डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलित कर किया गया। कार्यक्रम की अगली कडी़ में हिंदी परास्नातक की छात्रा श्रेया सिंह ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।

तत्पश्चात  मुख्य अतिथि शिक्षक राजेन्द्र सिंह को महाविद्यालय द्वारा अंगवस्त्र, स्मृति चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया एवं हिंदी साहित्य के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट कार्य की सराहना करते हुए मंगलमय भविष्य की कामना की गई। तत्पश्चात कार्यक्रम में हिंदी परास्नातक की छात्राओं ने अपने अपने विचार प्रस्तुत किये।  हिंदी विभाग के आचार्य डॉ लालचंद पाल, डॉ अमित कुमार ,डॉ अंगद प्रसाद तिवारी, डॉ संजय कुमार राय ने छात्र छत्राओं को संबोधित किया वहीं हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो अखिलेश कुमार शर्मा शास्त्री ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि, भाषा मानव समाज की अप्रतिम उपलब्धि है। भाषा भावों, विचारों की अभिव्यक्ति अथवा भावसम्प्रेषण का सर्वसुलभ व सशक्त साधन है। तात्विकरूप से भाषा ध्वनि प्रतीकों की एक व्यवस्था है जिसके माध्यम से मानव समूह विचार-विनिमय करता है। इन्हीं ध्वनि-प्रतीकों या शब्दों के भाव शब्द या भाषा द्वारा ही मानव समाज में प्रचलित होते हैं। शब्द की इसी महत्ता के कारण ‘सर्वम शब्देन भासते’ तथा ‘शब्दब्रह्म’ की परिकल्पना साहित्य जगत में प्रचलित है। काव्यदर्श में भाषा की शब्दात्मक महिमा की ओर संकेत किया गया है। इतम अन्धतम: कृत्स्नं जायेत भुवन त्रयं। यदि शब्दाहव्यं योतिरासंसारम् न दीप्यते। इसका अभिप्राय है कि यदि शब्दरूपी योति न होती तो यह सम्पूर्ण जगत् अन्धकार में ही रहता अर्थात् अव्यक्त ही रह जाता। वस्तुत: भाषा ही ज्ञान का सर्वसुलभ माध्यम है। इतना ही नहीं, भाषा ही किसी देश की सच्ची पहचान, उस देश की संस्कृति की संवाहिका होती है। वहीं मुख्य अतिथि के रुप में अपनी बात रखते हुए शिक्षक राजेन्द्र सिंह ने कहा कि समकालीन विश्व में हिंदी भाषा अपनी सांस्कृतिक विरासत और आध्यात्मिक चेतना की वजह से आकर्षण के केंद्र में है। आज विश्व के अधिकांश देश हिंदी भाषा में अनुस्युत ज्ञान को अपनी युवा पीढ़ी में संप्रेषित करना चाहते हैं। अधिकांश देशों को यह बात समझ में आ गई है कि व्यक्तिगत और सामाजिक विचलन को भारतीय आध्यात्मिक ज्ञान से ही नियंत्रित किया जा सकता है। इन्हीं कारणों से विश्व के अनेक देशों के विश्वविद्यालयों के विभागों में हिंदी भाषा का व्याकरण और आध्यात्मिक साहित्य पढ़ाया जा रहा है। भारत सरकार भी विदेशों में हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार और शिक्षण के लिए निरंतर प्रयासरत है। उससे भी ज्यादा महत्त्वपूर्ण बात यह है कि हिंदी भाषा वैश्विक स्तर पर बाजार और व्यापार की भाषा बनने के कारण चर्चा के केंद्र में है, भूमंडलीकरण ने पहली बार पूरे विश्व के द्वार भारत में व्यापार के लिए खोल दिए हैं। आने वाले समय में भारत; अमेरिका और चीन जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बनने की ओर अग्रसर है। इससे हिंदी भाषा भी वैश्विक स्तर पर सुदृढ़ हो रही है। भारत की विशाल जनसंख्या के लिए यह एक सुअवसर है कि हिंदी भाषा के माध्यम से उसके लिए विश्व के दरवाजे खुल रहे हैं। अनेक भारतीय अध्यापक केवल हिंदी भाषा के माध्यम से अध्ययन-अध्यापन विदेशों में कर रहे हैं। महत्त्वपूर्ण बात है कि हिंदी भाषा और साहित्य में रूचि रखने वाली युवा पीढ़ी के लिए विश्व में संभावनाओं के द्वार खुल रहे हैं। आज हिंदी बारह से अधिक देशों में बहुसंख्यक समाज की मुख्य भाषा है, तो फिजी, गुआना, सूरीनाम, टोबोगो, ट्रिनिडाड तथा अरब अमीरात आदि देशों में हिंदी को अल्पसंख्यक भाषा के रूप में संवैधानिक दर्जा प्राप्त है। आज लगभग एक चौथाई दुनिया में हिंदी का परचम लहरा रहा है। यह भी महत्वपूर्ण है कि अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, दक्षिण अफ्रीका, नेपाल, मॉरीशस, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, यमन, युगांडा इन दस देशों में हिंदी भाषी भारतीयों की जनसंख्या दो करोड़ से अधिक है। इन देशों में लोगों के बीच बोलने, लिखने-पढ़ने तथा अध्ययन और अध्यापन की दृष्टि से भी हिंदी भाषा का महत्त्व लगातार बढ़ रहा है। वर्तमान में वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा स्वयं को स्थापित करती जा रही है। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य प्रो. श्री निवास सिंह ने कहा कि आज हिंदी सशक्त हो रही है हमें इसे और आगे बढा़ने की आवश्यकता है। कार्यक्रम का संचालन डॉ अभिषेक तिवारी ने किया वहीं धन्यवाद ज्ञापन प्रो अरुण कुमार ने किया।
उक्त कार्यक्रम में डॉ संजय कुमार सिंह, डा अभिषेक तिवारी, डॉ महेन्द्र कुमार, डॉ राकेश कुमार सिंह, डॉ अमित कुमार, डॉ रामलखन यादव, बिपिन कुमार, डॉ अरुण कुमार, मनोज कुमार सिंह ,प्रदीप कुमार सिंह ,नीलेश कुमार ,रिया शर्मा ,प्रीति मौर्या ,सुमन सिंह सहित समेत समस्त छात्र छात्रा उपस्थित रहे।