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धनुष मुकुट का पूजन आरती कर रामलीला का किया गया शुभारंभ

गाजीपुर। अति प्राचीन श्री रामलीला कमेटी हरिशंकरी के तत्वावधान में प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष 28 सितंबर शनिवार शाम 7:00 बजे नगर के मोहल्ला हरिशंकरी स्थित श्री राम सिंहासन पर मुख्य अतिथि एसडीएम सदर प्रखर उत्तम, सीओ सिटी सुधाकर पाण्डेय, सदर कोतवाल दीनदयाल पाण्डेय तथा नगर पालिका अध्यक्ष सरिता अग्रवाल पूर्व अध्यक्ष विनोद अग्रवाल के अलावा रामलीला कमेटी के कार्यवाहक अध्यक्ष विनय कुमार सिंह, उपाध्यक्ष डॉ गोपाल पांडे, मंत्री ओमप्रकाश तिवारी, संयुक्त मंत्री लक्ष्मी नारायण, उप मंत्री लव कुमार त्रिवेदी, प्रबंधक मनोज कुमार तिवारी, उप प्रबंधक मयंक तिवारी, कोषाध्यक्ष रोहित कुमार अग्रवाल द्वारा धनुष मुकुट का पूजन आरती करके लीला का शुभारंभ किया गया। साथ ही ओमप्रकाश तिवारी ने आए हुए अतिथियों का स्वागत किया। इसके बाद बंदे वाणी विनायको आदर्श रामलीला मंडल के कलाकारों द्वारा श्री राम चबूतरा पर नारद मोह और श्री राम जन्म लीला का मंचन किया गया।

रामलीला मंचन में दर्शाया गया कि देवर्षि नारद प्रभु का गुणगान करते हुए एक सुंदर रमणीक स्थान पर समाधिस्थ हो गए। जब इंद्र को नारद जी के समाधि के बारे में जानकारी हुई तब उन्होंने नारद जी के समाधि को भंग करने हेतु कामदेव को भेजा। कामदेव वहां पहुंचकर नारद जी के समाधि को तोड़ने का काफी प्रयास करते हैं लेकिन वे असफल होकर नारद जी के पैरों पर गिर जाते हैं। जब नारद जी की समाधि टूटती है तो कामदेव को अपने चरणों में झुका देखकर उन्हें समझा कर वापस इंद्र के पास लौट जाने को आदेश देते हैं। नारद जी को कामदेव प्रणाम करके वापस चले जाते है।

इस बात को लेकर नारद जी अपनी प्रशंसा ब्रह्मा शंकर से कहे तो दोनों देवताओं ने मना करते हुए कहा कि आप इस बात को विष्णु जी से मत कहिएगा। वे नहीं माने और वे भगवान विष्णु जी के पास जाकर के अपनी प्रशंसा कर सुनाई।।विष्णु जी ने माया से श्रीनिवासपुर नगर बसाया। वहां के राजा सीलनिधि ने अपनी पुत्री विश्व मोहिनी का स्वयंवर रचाया था। जिसमें नारद जी भी पहुंच जाते हैं। नारद जी को देखकर सील निधि ने आदर सम्मान करने के बाद नारद जी से अपनी पुत्री के भाग्य के बारे में जानने की चेष्टा करते हैं। नारद जी विश्व मोहिनी की हस्त रेखा देखते ही, वे उसके माया में मोहित हो जाते हैं और विष्णु जी के पास जाकर के उनके स्वरूप को मांगते हैं। विष्णु ने अपने स्वरूप के बजाय बंदर का रूप दिया। अब नारद जी बंदर का रूप लेकर स्वयंवर में उपस्थित होते हैं। उधर श्री हरि विष्णु भी स्वयंवर में उपस्थित हो जाते हैं। विष्णु जी को देखकर विश्व मोहिनी उनके गले में जय माल डाल देती है। भगवान विष्णु विश्व मोहिनी के साथ अपने धाम के लिए प्रस्थान कर जाते हैं। नारद जी को वहां लज्जित होना पड़ता है।वही उपस्थित लोग नारद जी की हंसी उड़ाने लगे और कहने लगे कि महाराज अपना मुंह शीशे में तो देख लीजिए। जब नारद जी लोट के पानी में अपना मुंह देख तो क्रोधित होकर विष्णु जी को श्राप दे देते हैं। जब माया नारद जी से हटी तो अपने किए हुए पर पश्चाताप करते हुए भगवान विष्णु से क्षमा मांगते हुए अंतर ध्यान हो गये।

इसके बाद कलाकारों द्वारा श्री राम जन्म लीलाके दौरान दर्शाया की जिस समय महाराजा दशरथ पुत्र की कामना को लेकर चिंतित थे। वही उनके चिंता को देखकर गुरु वशिष्ठ ने समझाते हुए कहा कि हे राजा आप चिंतित ना हो। आपको एक पुत्र की चिंता है मैं तो समझ रहा हूं। आपको चार पुत्रों की प्रताप का योग बन रहा है। आप पुत्र कामेस्टि यज्ञ में राजा दशरथ ने गुरु के आदेश द्वारा शुरू किया जिसके फल स्वरुप अग्नि देव ने कटोरा भरे खीर राजा को देकर कहा कि उसे तीनों रानियां में बांट दीजिएगा। राजा दशरथ ने वैसा ही किया जैसा की अग्नि देव ने आदेश दिया। खीर खाने के प्रभाव से राजा दशरथ को राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न प्रकट हुए। राम जन्म लीला की समाचार सुनते ही पूरे अयोध्या में खुशी की लहर दौड़ गई तथा सोहर मांगलिक गीत प्रस्तुत की गई। लीला को देखकर दर्शक जय श्री राम के नारो से लीला स्थल गूंजाय मान कर दिया। इस मौके पर कमेटी के उपाध्यक्ष डॉ गोपाल पांडे मंत्री ओमप्रकाश तिवारी, संयुक्त मंत्री लक्ष्मी नारायण, उप मंत्री लव कुमार त्रिवेदी, मेला प्रबंधक मनोज कुमार तिवारी, उप प्रबंधक मयंक तिवारी, कोषाध्यक्ष रोहित कुमार अग्रवाल, कुश कुमार त्रिवेदी राम सिंह यादव सरदार राजन सिंह अनुज अग्रवाल आदि रहे।