गाजीपुर। जिलाधिकारी आर्यका अखौरी ने सूचित किया है कि वर्तमान समय में रबी, फसलों की बुवाई का मुख्य समय चल रहा है, इसलिए कृषकोे द्वारा फास्फेटिक उर्वरकों को निर्धारित दर पर गुणवत्ता युक्त रासायनिक उर्वरकों की सुगमतापूर्वक बिक्री/वितरण शत-प्रतिशत पी०ओ०एस० मशीन के माध्यम से कराये जाने तथा अवांछनीय तत्वों/व्यवसाईयों द्वारा यूरिया उर्वरक का कृत्रिम अभाव पैदा करके, जमाखोरी, कालाबजारी, ओवररेटिंग, तस्करी, यूरिया उवरकों के साथ अन्य उत्पादों की जबरन टैगिंग रोकने हेतु कृषि एवं सहकारिता विभाग के कर्मचारियों की देखरेख में तथा अधिकारियों के पर्यवेक्षण में उर्वरक वितरण कराने के निर्देश दिये गये है। उक्त के क्रम में अधिकारियों/कर्मचारियों की ड्यूटी उनके कार्यक्षेत्र में स्थित उर्वरक बिक्री केन्द्रों पर लगायी गयी है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में रबी के फसलों की बुआई/रोपाई का कार्य कृषकों द्वारा तीव्र गति से किया जा रहा है तथा इस निमित्त कृषकों द्वारा रासायनिक उर्वरकों का तेजी से क्रय एवं फसलों में प्रयोग भी किया जा रहा है। ऐसे समय मे यह सुनिश्चित करना है कि कृषकों को उनकी जोत के अनुसार उर्वरक निर्धारित दरों पर प्राप्त हो एवं जमाखोरी, कालाबाजारी/अधिक दामों पर बिक्री/यूरिया व डी०ए०पी० उर्वरक के साथ अन्य उर्वरकों/उत्पादों की टैगिंग पर पूरी तरह से अंकुश लग सके। तदक्रम में उपरोक्त निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन करते हुए निम्नलिखित कार्यवाही अनिवार्य रूप से सुनिश्चित की जाये। समरत उर्वरक, बिक्री केन्द्रों पर अनिवार्य रूप से पी०ओ०एस० मशीन के माध्यम से ही उर्वरकों की बिक्री सुनिश्चित करायी जाये तथा पी०ओ०एस० में प्रदर्शित स्टॉक का बिक्री केन्द्र में भौतिक रूप से उपलब्ध स्टाक से सत्यापन किया जाय। वर्तमान में प्रयोग होने वाली मुख्य उर्वरक यूरिया व डी०ए०पी० की बिक्री कृषकों को निर्धारित मूल्य पर अनिवार्य रूप से सुनिश्चित करायी जाये. यदि कोई उर्वरक विक्रेता अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक मूल्य पर उर्वरक बिक्री करता पाये जाए तो उसके विरूद्ध उर्वरक (नियंत्रण) आदेश, 1985 एवं आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 में निहित प्राविधानानुसार कठोर कार्यवाही किया जाये। उर्वरक विक्रेताओं के द्वारा यूरिया व डी०ए०पी० उर्वरक के साथ जबरन किसी भी प्रकार के अन्य उर्वरक/उत्पादों की टैगिंग करके बिक्री न की जाये।
ऐसे उर्वरक विनिर्माता/प्रदायकर्ता संस्थाओं पर भी सतर्क दृष्टि रखी जाये, जिनके द्वारा किसी थोक उर्वरक विक्रेता को प्रमुख उर्वरक यूरिया एवं डी०ए०पी० की आपूर्ति दिये जाने हेतु कम प्रचलित उर्वरक/उत्पाद भी क्रय करने हेतु बाध्य किया जाता है। बाध्यता की पुष्टि होने पर उनके विरूद्ध विधिक कार्यवाही सुनिश्चित करायी जाये। फुटकर के साथ-साथ थोक विक्रेताओं एवं बफर स्टाकिस्टों के स्टाक का भी सघन निरीक्षण किया जाए। यह अवश्य देखा जाए कि कहीं थोक विक्रेता अपने पारा उर्वरक का अनावश्यक भण्डारण स्थानीय स्तर पर कर कृत्रिम अभाव की स्थिति न उत्पन्न कर रहें हो, यदि ऐसी स्थिति पायी जाती है तो स्टाक को बाजार में कृषकों में बिक्री के लिए अवमुक्त किया जाए एवं सम्बन्धित के विरूद्ध कार्यवाही भी की जाए। उपरोक्त निर्देशों का उल्लघन/अवैध गतिविधियों में संलिप्त पाये जाने वाले असामाजिक तत्वों अथवा उर्वरक विक्रेताओं की सूचना तत्काल जिला कृषि अधिकारी, गाजीपुर व सहायक आयुक्त एवं सहायक निबन्धक सहकारिता, गाजीपुर को देना सुनिश्चित करें, जिससे सम्बनिधत के विरूद्ध उर्वरक (नियंत्रण) आदेश 1985 तथा आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में निहित सुसंगत प्राविधानानुसार कठोर कार्यवाही सुनिश्चित की जाये।