गाजीपुर। अपर जिलाधिकारी (वि0रा0) दिनेश कुमार ने जनपद गाजीपुर में शीतलहर एव घने कोहरे से बचाव हेतु आवश्यक दिशा-निर्देश दिये है।
उन्होने बताया कि अत्यधिक ठण्ड/शीतलहर होने पर छोटे बच्चों, बुजुर्गाे एवं गर्भवती महिलाओ को घर के अन्दर ही रखे। अति आवश्यक हो तभी घर से बाहर जाये। स्थानीय रेड़ियो, दैनिक समाचार पत्र, टी0बी0, मोबाईल फोन एवं वाटसअप के माध्यम से मौसम की जानकीरी प्राप्त करते रहें ।स्वंय सर्तक करे और अन्य व्यक्तियों को भी सर्तक करें। शरीर को सूखा रखें, गीले कपड़े कदापि न पहने, यह शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है। गीले कपडे़ से ठण्ड लगने की प्रबल सम्भावना बनी रहती है। मिट्टी का तेल, कोयले की अंगीठी, हीटर इत्यादि का प्रयोग करते समय सावधानियॉ बरते। कमरे में शुद्ध हवा का आवागमन, वेन्टिलेशन, वायु-संचार बनाये रखें ताकि कमरे में विषाक्त, जहरीला धुआं इकट्ठा न हो। सोने से पहले हीटर, ब्लोवर, कोयले की अंगीठी आदि को अवश्य बंद कर देें। कई स्तरों वाले गर्म कपडे़ जैसे-ऊनी कपडे़, स्वेटर, टोपी, मफलर इत्यादि का प्रयोग आपको शीतदंश/ठण्ड के प्रभाव से बचा सकता है। शरीर में ऊष्मा के प्रवाह को बनाये रखने के लिए पोषक आहार एवं गर्म पेय पदार्थों का नियमित सेवन किया जाना लाभकारी होगा। हाइपोथर्मिया के लक्षणों जैसे-असामान्य शरीर का तापमान, भ्रम या स्मृति हानि, बेहोशी, विचलन, असीमित ठिठुरना सुस्ती, थकान, तुतलाना, थकावट इत्यादि की स्थिति उत्पन्न होने पर अपने नजदीकी सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर सम्पर्क करें।
शीतदंश/ठण्ड के लक्षणों जैसेः-शरीर के अंगो का सुन्न पड़ना, हाथों-पैरों की उँगलियों, कान नाक आदि पर सफेद या पीले रंग के दाग उभर आने पर अपने नजदीकी चिकित्सक से परामर्श के बाद ही दवाइओ का प्रयोग करें। अपने आस-पास अकेले रहने वाले पड़ोसियों की जानकारी रखें, विशेषकर बुजुर्गाे व्यक्तियो का पूर्ण विवरण एवं मोबाईल नम्बर अवश्य रखेे। किसी भी आपात कालीन स्थिति से निपटने के लिए एक आपातकालीन डायरी बनाये जिसमें पुलिस, चिकित्सा, अग्निशमन, एवं अन्य महत्वपूर्ण विभागो के नम्बर दर्ज रखें और इसकी जानकारी परिवार के प्रत्येक सदस्यो को होनी चाहिए। बाहर निकलते समय सिर, चेहरे, हाथ एवं पैर को गर्म कपड़ें से ढ़के। शीतलहर में गाड़ियों में फॉग लाईट का इस्तेमाल करें। ठंड के मौसम में पशुओं को थनैला मिल्क फीवर नेमोटाइटिस आदि रोग होने का खतरा रहता है इसलिए पशुओं को समय-समय पर चिकित्सक को दिखाते रहें। पशुओं को रात में खुले पेड़ के नीचे अथवा घर से बाहर ना निकालें। पशुओं को ठंड के समय में गुड़ व कैल्शियम टॉनिक पिलाएं। पशुओं को ठंड के मौसम में जूट की बोरी अथवा घर में पड़ा पुराना कंबल उढाएं ।जन्म देने वाले (बियान) वाले पशुओं को ठंड लगने की ज्यादा संभावना होती है उनके पास अलाव जलाकर रखें लेकिन यह भी ध्यान में रखें कि अलाव से पशुओं से कोई नुकसान ना पहुंचे। पशुओं को ठंड के मौसम में स्नान कराने से परहेज करना चाहिए। पशुओं के नीचे बैठने वाले स्थान पर पराली/गन्ने की पत्ती जरूर डालें। पशुओ को गर्म स्थान पर रखें, उन्हें ठंड लगने पर पशु चिकित्सक की सलाह लें।