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भारतीय लोकतंत्र की मजबूत नीव, हमारे मूल्यों का दर्पण है भारतीय संविधान

जमानियां( गाजीपुर)। हिंदू स्नातकोत्तर महाविद्यालय में संविधान दिवस (CONSTITUTION DAY) के अवसर पर कैडेट्स ने संविधान के सम्मान और लोकतंत्र की मजबूती हेतु शपथ लिया । कतारबद्ध एनसीसी कैडेट्स व एनएसएस स्वयंसेवकों को हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. अखिलेश कुमार शर्मा शास्त्री ने संविधान की उद्देशिका को दुहरवाते हुए संविधान की रक्षा का संकल्प दिलाया। तत्पश्चात संविधान दिवस के इतिहास का पन्ना पलटते हुए बताया की सन् 1946 में संविधान सभा का गठन हुआ। 9 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की पहली बैठक आहूत हुई। 26 नवंबर 1949, इसी दिन संविधान को स्वीकार किया गया। अंततः वह समय भी आया जब भारत सम्पूर्ण प्रभुत्व संपन्न गणराज्य बना, 26 जनवरी 1950 इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों से लिखित वह  दिन जब हमारा संविधान अस्तित्व में आया और भारत लोकतांत्रिक गणराज्य बना।     महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो श्रीनिवास सिंह ने भारतीय संविधान को सर्वश्रेष्ठ लिखित संविधान बताते हुए कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। हमारा संविधान भारत के हर नागरिक को अभिव्यक्ति की आजादी देता है और उन्हें सुरक्षित और संरक्षित करने की भी संरक्षा प्रदान करता है। 2 वर्ष 11 महीने 18 दिनों में बनकर तैयार हुआ भारतीय संविधान, भारत का सर्वोच्च कानूनी दस्तावेज है जो देश के शासन व प्रशासन के ढांचे को निर्धारित करता है।  महाविद्यालय के आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के प्रभारी प्रो. (डॉ.) अरुण कुमार ने कहा कि यह लोकतंत्र की खूबसूरती ही है कि यहां आम आदमी भी शीर्ष पद तक पहुंच सकता है। संविधान के आगे खड़ा हर व्यक्ति एक समान है। हिंदी विभाग के सहायक आचार्य डॉ अभिषेक तिवारी ने अपने संबोधन में कैडेट्स को केंद्रित करते हुए कहा कि आज का समय युवाओं का है और संविधान की महत्ता को जानना आने वाले सुनहरे भविष्य की आवश्यकता ही नहीं वरन् जरूरत भी है। संविधान दिवस हमें भारत की एकता, समानता और न्याय की भावना को समझने और उसे बनाए रखने का संकल्प लेने की प्रेरणा देता है।

एसोसिएट एनसीसी ऑफिसर कैप्टन अंगद प्रसाद तिवारी ने अपने वक्तव्य में कैडेट्स को प्रेरित करते हुए बताया कि संविधान दिवस भारत में हर साल 26 नवंबर को मनाया जाता है। इस दिन 1949 में भारतीय संविधान सभा ने भारत के संविधान को अंगीकृत किया था, जो 26 जनवरी 1950 को गणतंत्र दिवस के रूप में सुशोभित हुआ। वैसे तो संविधान 26 नवंबर, 1949 को ही बनकर तैयार हो चुका था लेकिन लागू इसे 26 जनवरी 1950 को किया गया। आज के समय में हम संविधान दिवस मनाते भी 26 नवंबर को ही है, इसके पीछे कारण यह है कि वर्ष 2015 में, भारत सरकार ने संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती के अवसर पर 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। इससे पहले इसे “राष्ट्रीय कानून दिवस” के रूप में जाना जाता था लेकिन घोषणा उपरांत इसे कानून दिवस से बदलकर संविधान दिवस में तब्दील कर दिया गया। आज के दिन के महत्व को समझने के लिए हमें यह जानना होगा कि यह दिन नागरिकों को संविधान और उनके मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों की जानकारी , संविधान के प्रमुख निर्माता के योगदान को याद करने, तथा लोकतंत्र और कानून की सर्वोच्चता का प्रतीक समझने का अवसर प्रदान करता है। आज के इस पुनीत अवसर पर हम सब दृढ़ संकल्प के साथ भारत के संविधान की रक्षा का संकल्प लेते हैं और इसे उत्तरोत्तर समृद्धि और प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाने में अपना उच्चतम देने को कृत संकल्पित रहने की आप सभी से अपील करता हूं। उक्त कार्यक्रम के दौरान कैप्टन डॉक्टर अंगद प्रसाद तिवारी,  डॉ महेंद्र कुमार, सत्य प्रकाश सिंह ,प्रदीप कुमार सिंह, सूरज कुमार जायसवाल ,कमलेश प्रसाद ,दिग्विजय सिंह, पप्पू कुमार आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी तथा हिंदी विभाग के सहायक आचार्य डॉ अभिषेक तिवारी ने किया।