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जहाँ पत्रकारिता समाप्त होती है, वहाँ तानाशाही का उदय होता है और जिस मुद्दे पर पूरी दुनिया चुप है उस मुद्दे को उजागर करने की हिम्मत केवल पत्रकारिता रखती है

जमानिया। तहसील में गुरुवार को पत्रकारों ने मुख्यमंत्री को संबोधित पत्रक उपजिलाधिकारी को सौंप कर पत्रकारों पर दर्ज फर्जी मुकदमों को वापस लेने की मांग की।

क्यों सौंपा गया पत्रक?

दरअसल मऊ जिले के कम्पोजिट विद्यालय रणवीर गांव में तैनात सहायक अध्यापिका और कथावाचक रागिनी मिश्रा पर विद्यालय में अनियमित उपस्थिति और बिना विभागीय अनुमति के प्रदेश एवं देश के बाहर भ्रमण करने के गंभीर आरोप लगे हैं। जनता द्वारा लगातार मिल रही शिकायतों के बाद पत्रकारों ने इस मामले की जांच कर तथ्यों को उजागर किया। हालांकि, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी संतोष उपाध्याय ने शिक्षिका को क्लीन चिट दे दी। जिससे उल्टा छह पत्रकारों पर फर्जी मुकदमे दर्ज कराए गए।

बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा जांच के आदेश:

इस प्रकरण में बेसिक शिक्षा विभाग मऊ ने जांच के आदेश दिए हैं। वहीं, पत्रकारों पर दर्ज मुकदमों के विरोध में समाज में नाराजगी और रोष व्याप्त है।

इस तरीके की कार्यवाही स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता पर हमला है: पत्रकार संगठन

पत्रकार संगठनों ने इस कार्रवाई को स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता पर हमला बताते हुए मामले की निष्पक्ष जांच और पत्रकारों पर दर्ज फर्जी मुकदमों को तत्काल समाप्त करने की मांग की है। पत्रकारों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी हाल ही में कहा है कि सिर्फ इसलिए कि किसी पत्रकार के लिखे हुए को सरकार की आलोचना माना जा रहा है, उसके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज नहीं किए जाने चाहिए। लोकतांत्रिक देशों में विचार व्यक्त करने की आजादी का सम्मान किया जाना चाहिए। इस मामले में निष्पक्ष जांच और उचित कार्रवाई की मांग जोर पकड़ रही है, ताकि शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता बनी रहे और स्वतंत्र पत्रकारिता को संरक्षण मिल सके। जिसके बाद पत्रकारों ने पत्रक उपजिलाधिकारी को सौंपा।

उपस्थित गणमान्य:

इस अवसर पर चन्द्रमौली पाण्डेय‚ प्रभाकर सिंह‚ प्रमोद यादव‚ अभिषेक श्रीवास्तव‚ अमरेन्द्र सिंह‚ रतन श्रीवास्तव‚ प्रदीप शर्मा‚ वीर बहादुर मौर्य‚ अमित चौरसिया‚ आजाद कुशवाहा‚ बृजेश कुमार राय आदि मौजूद रहे।