गाजीपुर। पी०जी० कॉलेज गाजीपुर में अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ तथा विभागीय शोध समिति के संयुक्त तत्वावधान में पूर्व शोध प्रबंध प्रस्तुति संगोष्ठी का आयोजन महाविद्यालय के सेमिनार हाल में किया गया। संगोष्ठी में महाविद्यालय के प्राध्यापक, शोधार्थी एवं छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
कृषि विज्ञान संकाय के कृषि अभियंत्रण विषय के शोधार्थी यशवंत कुमार पटेल ने अपने शोध प्रबंध “डेवलपमेंट एंड स्टैंडर्डाइजेशन ऑफ टेक्नोलॉजीज फॉर प्रोसेसिंग, प्रिजर्वेशन एंड प्रमोशन ऑफ कंजंप्शन ऑफ ट्रेडिशनल ग्रीन भाजिश केसिया टोरा, रोसेली लीव्स एंड स्वीट पोटेटो लीव्स इन छत्तीसगढ़” पर प्रस्तुति दी। उन्होंने बताया कि केसिया टोरा (चकवक/चरोटा), रोसेली (अमारी) और स्वीट पोटैटो (शकरकंद) की पत्तियों में कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम, विटामिन ए एवं सी जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व तथा फ्लावोनॉइड्स, सेनोसाइड्स, एंथोसायनिन्स और पॉलीफेनॉल्स जैसे जैव सक्रिय यौगिक प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इनके नियमित सेवन से शुगर, रक्तचाप, किडनी और हृदय संबंधी रोगों सहित त्वचा व लीवर की बीमारियों तथा शरीर की सूजन में लाभ मिलता है।
यशवंत ने बताया कि शोध के दौरान पत्तियों के भौतिक-रासायनिक विश्लेषण से पुष्टि हुई कि केसिया टोरा में सबसे अधिक आहार फाइबर (13.49 ग्राम/100 ग्राम), लोहा (12.75 मि.ग्रा./100 ग्राम) और विटामिन ए (714.9 माइक्रोग्राम/100 ग्राम) पाया गया। वहीं, रोसेली की पत्तियों में विटामिन सी और पॉलीफेनॉल तथा शकरकंद की पत्तियों में बीटा-कैरोटीन व एंटीऑक्सीडेंट्स का उच्च स्तर दर्ज किया गया। शोध में सुखाने, पीसने और वायुरोधी पैकेजिंग की मानकीकृत प्रक्रियाएं विकसित की गईं। 55 डिग्री सेल्सियस पर केबिनेट सुखाने की विधि सबसे प्रभावी पाई गई। साथ ही किण्वन विधि से पत्तियों के प्रोबायोटिक गुण भी बढ़ाए गए। पत्तियों को पाउडर के रूप में संरक्षित कर विभिन्न व्यंजनों जैसे भाजी, सूप और फोर्टिफाइड मिश्रणों में उपयोग हेतु उपयुक्त बनाया गया।
शोधार्थी ने बताया कि प्रत्येक पत्ती से छह प्रकार की भाजी तैयार की गईं, जिनमें पारंपरिक सामग्रियों जैसे लहसुन, प्याज, हल्दी, नींबू रस, मिर्च और नारियल दूध का उपयोग किया गया। सूप निर्माण हेतु 95-100 डिग्री सेल्सियस तापमान पर 10-15 मिनट उबालने की प्रक्रिया अपनाई गई। तैयार उत्पादों की उपभोक्ता स्वीकार्यता परीक्षणों में अत्यधिक सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई। उत्पादों के मूल्य निर्धारण के लिए ₹51-100 की श्रेणी सबसे उपयुक्त पाई गई, जो सामुदायिक उद्यमों के लिए व्यावसायिक संभावनाओं को दर्शाता है।
प्रस्तुति के उपरांत विभागीय शोध समिति तथा अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के सदस्यों सहित उपस्थित प्राध्यापकों और शोधार्थियों द्वारा शोध से संबंधित प्रश्न पूछे गए, जिनका यशवंत कुमार पटेल ने संतोषजनक उत्तर दिया। समिति तथा महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर (डॉ.) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय ने शोध प्रबंध को विश्वविद्यालय में जमा करने की संस्तुति प्रदान की।
इस अवसर पर प्रोफेसर (डॉ.) जी. सिंह, प्रोफेसर (डॉ.) अरुण कुमार यादव, डॉ. रामदुलारे, डॉ. रविशेखर सिंह (शोध निर्देशक), विभागाध्यक्ष इंजीनियर विपिन चंद्र झा, डॉ. अमरजीत सिंह, डॉ. इन्दीवर पाठक, डॉ. योगेश कुमार, डॉ. समरेंद्र मिश्र सहित कई प्राध्यापक और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। संगोष्ठी का संचालन डॉ. जी. सिंह ने किया तथा अंत में आभार व्यक्त इंजीनियर विपिन चंद्र झा ने किया।
