जमानियां। रक्तदान-महादान है क्योंकि यह जीवनदान है।रक्तदान का कोई विकल्प नहीं इसलिए किसी के द्वारा किया गया रक्तदान कई जिंदगियों को बचाता है। अतः रक्क्तदान अवश्य करना चाहिए। इस बात का एहसास हमें तब होता है जब हमारा कोई अपना खून के लिए जिंदगी और मौत के बीच जूझता है। उस वक्त हम नींद से जागते हैं और उसे बचाने के लिए खून के इंतजाम की जद्दोजहद करते हैं।
अनायास दुर्घटना या बीमारी का शिकार हममें से कोई भी हो सकता है। आज हम सभी शिक्षित व सभ्य समाज के नागरिक है, जो केवल अपनी नहीं बल्कि दूसरों की भलाई के लिए भी सोचते हैं तो क्यों नहीं हम रक्तदान के पुनीत कार्य में अपना सहयोग प्रदान करें और लोगों को जीवनदान दें।
ये बातें रक्क्तदान के प्रति जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से हिंदू स्नातकोत्तर महाविद्यालय जमानियां गाजीपुर के राष्ट्रीय सेवा योजना के वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी डॉ.अखिलेश कुमार शर्मा शास्त्री ने अंतरराष्ट्रीय विश्व रक्तदान दिवस की पूर्व संध्या पर महाविद्यालय के शिक्षार्थियों एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयं सेवक,सेविकाओं को रक्तदान हेतु प्रेरित करते हुए सोशल मीडिया पर कही। बहुतायत मात्रा में लोग यह सोचते हैं बहुत सारे लोग तो रक्तदान कर ही रहे तो आखिर
मुझे इसकी क्या जररूरत?
महाविद्यालय रसायन विज्ञान विभाग के अध्यक्ष एवं एसोसियेट प्रोफेसर तथा राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डॉ.अरुण कुमार ने कहा कि प्रायः लोगों की धारणा है कि मेरा ब्लड ग्रुप तो बहुत आम है तो मैं क्यों दूं बहुतेरों ने तय दिया ही होगा लेकिन अध्ययन बताते हैं कि आम ब्लड होने के कारण उस समूह के रोगी भी तो ज्यादाे ही आते हैं यानि उस ग्रुप की मांग भी उतनी ही ज्यादा होगी।या फिर कई लोग यह सोचते है कि भाई, मेरा ग्रुप तो रेयर है, यानी खास है तो मैं तब ही रक्त दूंगा जब जरुरत होगी. ऐसे में तो यही बात सामने आती है कि आपका रक्त चाहे आम हो या खास. हर तीन महीने यानी 90 दिन बाद दान देना ही चाहिए. हमारा शरीर 24 घंटे के भीतर रक्त ही पूर्ति कर लेता है जबकि सभी तरह की कोशिकाओं के परिपक्व होने में 5 सप्ताह तक लग जाते हैं।अब बात आती है कि जब जरूरत होगी तभी देंगे यह भी सही नहीं है। मरीज कब तक आपका इंतजार करेगा?हो सकता है कि आप तक खबर ही न पहुँच पाए या आप ही समय पर न पहुँच पाएं और कुछ अनहोनी हो जाय तो आप दोषी किसे मानोगे? दूसरी बात यह भी है कि बेशक आप लगातार रक्त देते हो पर जब भी आपने रक्त दान करना होता है आपका सारा चैकअप दोबारा होता है उसमे कई बार समय भी लग जाता है।इसलिए इस इंतजार में तो न ही रहें कि जब जरूरत होगी तभी ही देने जाएगें? अंततः ये सब बहाने हैं जान बचाने के लिए संकल्पित व्यक्ति के रूप में रक्क्तदान अवश्य करें।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.शरद कुमार ने कहा कि देशभर में रक्तदान हेतु रेडक्रास जैसी कई महत्वपूर्ण संस्थाएँ लोगों को रक्तदान के प्रति जागरूकता कर रही है परंतु इनके प्रयास तभी सार्थक होंगे, जब हम स्वयं रक्तदान करने के लिए आगे आएँगे और अपने मित्रों व रिश्तेदारों को भी इस हेतु आगे आने के लिए प्रेरित करेंगे।यह इसलिए भी जरूरी है कि अभी तक रक्त का कोई विकल्प नहीं है अतः हमें अनिवार्य रक्तदान करना चाहिए।
इकाई प्रथम के कार्यक्रम अधिकारी डॉ.रविन्द्र कुमार मिश्र ने कहा कि सप्त दिवसीय शिविर के दौरान मैंने अभी जनवरी में पांचवीं बार रक्तदान किया था। मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि गत सत्र में 27 तथा इस सत्र में मुझे शामिल करते हुए 20 यूनिट ब्लड जनपद ग़ाज़ीपुर ब्लड बैंक को उपलब्ध कराया गया। हां ध्यान देने योग्य बात यह है कि आपमें से जो लोग रक्तदान करना चाहते हैं निम्न बातों का ध्यान रखें…
जो स्त्रियाँ महावारी के दौर से गुजर रही हैं तथा स्तनपान कराने वाली माताएं रक्त न दें। महाविद्यालय में सोशल डिस्टेंस के साथ सूरज कुमार जायसवाल, रवि उद्यान, पेंगूला प्रासर, कमलेश प्रसाद, अभय कुमार, सुनील कुमार चौरसिया आदि उपस्थित रहे।