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सितंबर में शुरू होगा पल्स पोलियो अभियान का पहला चरण

ग़ाज़ीपुर। कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए पूरे देश में किए लॉक डाउन के बाद स्थगित किए गए स्वास्थ्य संबन्धित कार्यक्रम और योजनाओं को एक बार फिर से हरी झंडी मिल गयी है। इस क्रम में पल्स पोलियो कार्यक्रम की शुरुआत करने को लेकर मिथिलेश चतुर्वेदी, महानिदेशक, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण उत्तर प्रदेश ने प्रदेश के समस्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी को पत्र जारी कर सूचित किया है। पत्र में 20 सितंबर 2020 से पल्स पोलियो अभियान चलाए जाने की बात कही गई है।

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी एवं एसीएमओ डॉ उमेश कुमार ने बताया कि पल्स पोलियो अभियान को शुरू किए जाने को लेकर शासन का पत्र मिल चुका है जिसमें 20 सितंबर 2020 से शुरू किए जाने का निर्देश दिया गया है। इसको लेकर विभागीय तैयारियां शुरू कर दी गईं हैं।
डॉ उमेश ने बताया कि पोलियो एक संक्रामक रोग है जो पोलियो विषाणु से मुख्य तः छोटे बच्चोंा में होता है। यह बीमारी बच्चेंत के किसी भी अंग को जिन्दएगी भर के लिये कमजोर कर देती है। पोलियो लाईलाज है क्योंेकि इसका लकवापन ठीक नहीं हो सकता है। बचाव ही इस बीमारी का एक मात्र उपाय है। पोलियो स्पा इनल कॉर्ड व मैडुला की बीमारी है। स्पा इनल कॉर्ड मनुष्य का वह हिस्सात है जो रीड की हड्डी में होता है। पोलियो मॉंसपेशियों व हड्डी की बीमारी नहीं है। पोलियो वासरस ग्रसित बच्चोंा में से एक प्रतिशत से भी कम बच्चों में लकवा होता है। बच्चों मे पोलियों विषाणु के विरूद्व किसी प्रकार की प्रतिरोधक क्षमता नहीं होती है इसी कारण यह बच्चों में होता है।
पोलियो से बचाव के उपाय
डॉ उमेश ने बताया कि पोलियो विषाणु के विरूद्व प्रतिरोधक क्षमता उत्पहन्नम के लिए ‘नियमित टीकाकरण कार्यक्रम’ व ‘पल्सउ पोलियो अभियान’ के अंतर्गत पोलियो वैक्सीउन की खुराक दी जाती है। यह सभी खुराक 05 वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चोंे के लिये अत्य्न्तक आवश्य क है। बार-बार और एक साथ खुराक पिलाने से पूरे क्षेत्र के 05 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चोंे में इस बीमारी से लड़ने की एक साथ क्षमता बढती है और इससे पोलियो विषाणु को किसी भी बच्चे के शरीर में पनपने की जगह नहीं मिलेगी, जिससे पोलियो का खात्माा हो जायेगा।