नगसर(गाजीपुर)। स्थानीय थाना क्षेत्र के नूरपुर कांड मामलें में शासन के निर्देश पर गठित दो सदस्यीय मजिस्ट्रेट जांच टीम ने जांच का काम पूरा कर सभी दस्तावेजों को सीलबन्द कर इसकी पूरी रिपोर्ट जिलाधिकारी ओमप्रकाश आर्य को सौंप दी है ।
जिसके बाद जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी के माध्यम से शासन को जल्द ही दे दी जायेगी । करीब पंद्रह दिनों तक चले इस मजिस्ट्रेटी जांच में अधिकारियों ने पिडित सैनिक परिवार के नौ, बारह पुलिस कर्मियों के , ग्राम प्रधान सहित कुल 35 लोगों के लिखित व मौखिक बयान दर्ज किए। वहीं अब जब यह मजिस्ट्रेटी जांच पूरी हो चुकी है लोगों की निगाह अब जांच रिपोर्ट से निकल कर आने वाले साक्ष्य सबूतो के साथ शासन पर आकर टिक गई है, लोगों में अब इस बात को लेकर चर्चा है कि इस पूरे प्रकरण में किए गये मजिस्ट्रेटी जांच में पीडित सैनिक परिवार को न्याय मिलेगा या शासन पुलिस कर्मियों को क्लीन- चिट देगा देखने वाली बात है । अब गेंद पूरी तरह से शासन व आलाधिकारियों के पाले में जा चुकी है अब इसका पूरा निर्णय शासन को अपने स्तर से लेना है कि इस पूरे प्रकरण में कौन दोषी है ।चूंकी मामला राजनीति से जुडा होने के कारण व आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर जिस तरह से इस पूरे प्रकरण में सरकार की किरकिरी हुई है हो सकता है कि शासन इसमें पुलिस कर्मियों को दोषी मान ले ।
मालूम हो कि वीते 26 जुलाई को नगसर थाना पुलिस ने झिनकू पांडेय को किसी मामलें में पकड कर थाने ला रही थी, इसी दौरान वह पुलिस को चकमा दे भाग निकला, जिससे खुन्नस खाए पुलिस ने नूरपुर के सैनिक परिवार अजय पांडेय के घर श्राद्ध का काम चल रहा था, इसी बीच तत्कालीन थानाध्यक्ष रमेश कुमार सहित कई पुलिस कर्मी सादे वेश में घर में अचानक घुस सैनिक परिवार पर मुल्जिम को भगाने का आरोप लगाते हुए घर में मारपीट करने के साथ ही परिवार के नौ सदस्यों को पकड थाने ले जाकर बेरहमी से पिट उनके खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कर चालान कर दिया, जहां देर शाम तक सभी पिडित सैनिक परिवार के सदस्य जमानत पर घर वापस आ गये,वहीं जब पुलिस के बर्बरता के शिकार पिडित सैनिक जब अगले दिन थाने पर उक्त पुलिस कर्मियों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कराने पहुंचे तो वहाँ से पुलिस ने गालीगलौज, फर्जी मुकदमे में फसाने की धमकी देते हुए जान से मारने की धमकी देते हुए भगा दिया, जिसके बाद पिडित सैनिक परिवार ने 30 जुलाई को पुलिस अधीक्षक को डाक के जरिए दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत करने ,उन्हें बर्खास्त करने व उनके किए गये फर्जी मुकदमें को हटाने के लिए लिखित शिकायती पत्र दिया, लेकिन काफी समय बीत जाने के बाद भी कोई कार्यवाई न होने पर पीडित सैनिक परिवार ने बीते दो दिन पूर्व मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष आरोपी पुलिस कर्मियों के खिलाफ वाद दाखिल किया जिसे न्यायालय ने मंजूर कर लिया ।
पिडित सैनिक परिवार के सदस्यों ने पुलिसिया बर्बरता की गवाह शरीर पर उभरे घाव का फोटो, वीडियो सोशल मिडिया पर वायरल करने ने साथ ही शासन व प्रशासन के आलाधिकारियों को ट्वीट कर दिया ।जिसके बाद प्रदेश से लगायत जनपद पर प्रशासनिक गलियारों व राजनीतिक गलियारों में हडकंम्प मच गया, शासन ने इस प्रकरण को गंम्भीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रमुख सचिव ने जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक को पूरे मामलें की तहकीकात करने व दोषियों को दंडित करने के निर्देश दिए, जिसके बाद हरकत में आए जनपद के डीएम,एसपी सहित तमाम अधिकारी पिडित सैनिक परिवार के घर पहुंचे घटनाक्रम का ब्यौरा जाना, मामलें की गंम्भीरता को देखत हुए थानाध्यक्ष रमेश कुमार, उपनिरीक्षक कृष्णा यादव सहित तीन अन्य पुलिस कर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया गया, वहीं इसके बाद मामलें ने राजनीति तूल पकड लिया विभिन्न राजनीतिक दलों के पदाधिकारी गाँव पहुंचे व पुलिस की इस कार्यवाई की घोर निंदा के साथ ही पुलिस कर्मियों पर मुकदमा दर्ज कर उनकी बर्खास्तगी की मांग के साथ ही पिडितो पर से मुकदमें वापस की मांग की, वहीं मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रदेश के संसदीय कार्य व जनपद के प्रभारी मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला अधिकारियों संग नूरपुर पहुंचे पिडितों से वार्ता कर उन्हें पुलिस कर्मियों के खिलाफ कडी कार्यवाई का आश्वासन दिया, मंत्री ने मुख्यमंत्री को सीधे रिपोर्ट की जिसके बाद तत्कालीन थानाध्यक्ष रमेश कुमार, उपनिरीक्षक कृष्णा यादव सहित तीन अन्य पुलिस कर्मियों को निलंम्बित कर दिया गया था । इस मामलें में उपजिलाधिकारी सत्यप्रिय सिंह ने कहा कि मजिस्ट्रेटी जांच पूरी हो चुकी है, सभी अभिलेख सीलबन्द कर जिलाधिकारी को सौंपी गई है जहाँ से यह सीधे शासन को भेजी जायेगी ।