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कोरोना को मात देकर पाँच साल की काव्या बनी चैम्पियन

गाजीपुर। जनपद में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच स्वस्थ होने वालों की तादाद में लगातार बढ़ोत्तरी सकारात्मक उम्मीद पैदा कर रही है। कोरोना को मात देने वाले ऐसे ही दो चैंपियन हैं। एक हैं पाँच साल की काव्या सिंह, जिसे पता तक नहीं कि कोरोना वायरस क्या होता है। वहीं दूसरे हैं डॉ ओमप्रकाश सिंह पुलिस अधीक्षक गाजीपुर।

सदर कोतवाली के कृषि विभाग कॉलोनी की रहने वाली काव्या 21 जुलाई को कोरोना पॉजिटिव हो गई थी। इसके बारे में उनके पिता अभिषेक सिंह ने बताया कि मुझे कई दिनों से बुखार आ रहा था। तब दोस्तों की सलाह पर उन्होंने खुद अपना और पत्नी व बेटी का कोरोना टेस्ट 14 जुलाई को कराया, रिपोर्ट 21 जुलाई को मिली जिसमें बेटी काव्या पॉजिटिव निकली। लेकिन बेटी के पॉजिटिव आने के बाद खुद को भी होम आइसोलट करना पड़ा। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग के एसीएमओ डॉ प्रगति कुमार ने फोन कर जानकारी लिया और होम आइसोलेशन एप मोबाइल में इंस्टॉल करने के साथ ही जरूरी दवाओं के बारे में बताया, जिसे वह नियमित रूप से बेटी को देते रहे और बेटी स्वस्थ हुई। उपचार के दौरान 26 जुलाई को बेटी का जन्मदिन था। लेकिन होम आइसोलेशन की वजह से घर से निकल पाना मुश्किल था और बेटी लगातार केक के लिए जिद कर रही थी। वह दिन काफी दर्द भरा रहा लेकिन उस दर्द को एक न्यूज़ चैनल ने बेटी के बर्थडे की न्यूज़ चलाकर दर्द पर मरहम लगाने का काम किया।
काव्या के पिता अभिषेक सिंह ने बताया कि होम आइसोलेशन का पूरा पालन करते समय जब आस-पड़ोस के लोगों को जानकारी हुई। तब उन लोगों ने हौसला बढ़ाने के बजाय राशन, दूध, सब्जी वालों को इन सब सामानों को देने से मना कर दिया जिसको लेकर दिक्कतों का सामना करना पड़ा। यह 10 दिन का समय जिंदगी का वह समय था जो कभी भूल नहीं पाऊंगा। लेकिन अब काव्या पूर्ण रूप से स्वस्थ होकर आम बच्चों के साथ खेलती कूदती नजर आती है और पड़ोसियों ने भी पहले की तरह व्यवहार रखना शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया कि अभी दो दिन पूर्व मुख्यमंत्री कार्यालय से भी फोन आया था जिसमें उन लोगों ने काव्या के स्वास्थ्य के बारे में पूरी जानकारी लिया है।
पुलिस अधीक्षक ने दी कोरोना को मात
कोरोना को मात दे चुके चैम्पियन पुलिस अधीक्षक डॉ ओम प्रकाश सिंह की बात करें तो वह खुद अपने विभाग की कमान संभालते हुए पूरे जनपद को कोरोना मुक्त रखने के लिए अनेकों जतन किए। यहां तक की लोगों को जागरूक करने के लिए गाना गाकर सोशल मीडिया के माध्यम से अपील करते नजर आए। लेकिन खुद कोरोना से बच नहीं पाए और 23 जुलाई को खुद कोरोना पॉज़िटिव हो गए जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए 24 जुलाई को केजीएमयू लखनऊ में एडमिट किया गया।
डॉ ओमप्रकाश ने बताया कि इस दौरान लखनऊ में जहां इनका परिवार रहता है। वहां पर उनकी गाड़ी और ड्राइवर चला गया तो उस अपार्टमेंट के लोग दबी जुबान में विरोध करना शुरू कर दिए। जब इसकी जानकारी डॉ ओम प्रकाश सिंह को हुई तो उन्होंने तत्काल अस्पताल के कमरे से एक वीडियो बनाकर अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों तक भेजा। तब लोगों को विश्वास हुआ कि मैं घर पर नहीं बल्कि अस्पताल के कमरे में हूं। इस दौरान उन्होंने बताया कि उन्हें पहले से ही डायबिटीज़ और हाई ब्लडप्रेशर की शिकायत थी जिसके वजह से वह हॉस्पिटल में एडमिट हुए थे। इस दौरान चाय और काढ़ा बनाकर पीते रहे और स्वयं जरूरी काम करते रहे। उन्होंने बताया कि उनका इलाज करने वाले डॉ हिमांशु, डॉ छाया, डॉ भूपेंद्र का बहुत ही बढ़िया व्यवहार रहा। न सिर्फ उनके प्रति बल्कि अन्य कोरोना मरीजों के प्रति भी उनका व्यवहार बढ़िया रहा जिनके सेवाभाव से वह फिर से स्वस्थ होकर और कोरेंटाइन का वक्त पूरा कर अपनी ड्यूटी पर 1 अगस्त को वापस आ गए हैं। उन्होंने बताया कि उपचार के दौरान एक दिन अस्पताल में काफी मायूस हो गए थे तब उन्होंने एक गाना गाया और उसे यादगार के रूप में सोशल मीडिया पर डाउनलोड भी कर दिया ताकि उन्हें उन तकलीफ भरे दिनों को याद दिलाता रहे।