कंदवा(चन्दाैली)। किसानों की लड़ाई किसान ही लड़ेंगे राजनीतिक दलों के चमचे किसानों की लड़ाई कभी नहीं लड़ सकते। राजनीतिक दलों के चमचों से कभी भी किसानों का भला नहीं हो सकता। उक्त बातें प्रगतिशील किसान रतन सिंह ने बुधवार को असना गांव में धर्मेन्द्र सिंह के आवास पर बातचीत के दौरान कहीं।
उन्होंने कहा कि किसानों को अपनी लड़ाई गैर राजनीतिज्ञों के सहयोग से खुद लड़ने की जरूरत है। किसानों का हितैषी बनने वाले अपने आकाओं के कहने पर अपने स्वार्थ के लिए कभी भी आंदोलन को बेंच देंगे। यह भी उसी भ्रष्ट राजनीतिक सिस्टम के अंग हैं, जिसने पिछले 74 वर्षों से किसानों को हाशिए पर रखा है।इनके ऊपर कत्तई भरोसा नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि किसान नेता बीएन सिंह कांग्रेस से चुनाव लड़ चुके हैं तो योगेन्द्र यादव और राजू शेट्ठी के राजनीतिक दल हैं और वे केवल किसानों के नाम पर अपनी राजनीतिक रोटी सेंक रहे हैं। इनके उपर भरोसा नहीं किया जा सकता है। जे पी आन्दोलन व अन्ना हजारे का आन्दोलन ऐसे रंगे सियारों के भेंट चढ़ चुके हैं। इसलिए सावधानी हटी दुर्घटना घटी। नेता जब विपक्ष में रहते हैं तो इनकी भाषा किसान समर्थक रहती है लेकिन जब सत्ता में रहते इनकी भाषा बदल जाती है। किसानों की दुर्दशा के लिए सभी राजनीतिक दल समान रूप से दोषी हैं। इस दौरान प्रभुनारायण सिंह, धर्मेन्द्र सिंह, मुग्गन सिंह आदि लोग रहे।