कंदवा(चन्दाैली)। त्रेता युग में केवल एक बेटी के पिता राजा जनक रोए थे लेकिन कलियुग में सभी बेटियों के पिता रो रहे हैं।दहेज के चलते बेटियां जनक के धनुष की तरह भारी हो गई हैं। ये बातें गोरखा हनुमान मंदिर पर आयोजित पांच दिवसीय श्रीराम कथा के पहले दिन सोमवार की शाम आजमगढ़ से आए कथावाचक पंडित गोविंद शास्त्री ने कहीं।
कथा को विस्तार देते हुए उन्होंने कहा कि एक बार याज्ञवल्क्य जी से भारद्वाज मुनि से पूछा कि गुरुदेव वह राम कौन हैं जिनको भगवान शिवशंकर जी धारण करते हैं। राम कवन प्रभू पुछुऊ तोही एक राम अवधेश कुमारा, तिन्ह कर चरित्र विदित संसारा, नारि विरह दुख लेहहु अपारा, भयऊ रोष रन रावन मारा। क्या यही राम हैं वो जिन्होंने दशरथ जी के घर जन्म लिया और नारि के विरह में रावण के पूरे परिवार सहित मार डाला या कोई और हैं। तब याज्ञवल्क्य जी ने बड़े ही विस्तार से राम के बारे में समझाया कि राम तो हर जीव के प्राण हैं। श्रीराम ने ही मनुष्य के रूप में आकर जीव को जीने की कला दी है तो मनुष्य का भी कर्तव्य बनता है कि श्री राम के चरित्र को अपने जीवन में उतारें। पंडित सच्चिदानंद त्रिपाठी ने हनुमान चरित्र की कथा सुनाकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।इससे पूर्व कथा का शुभारंभ भाजपा काशी प्रान्त के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष अनिल सिंह ने किया। इस मौके पर कथा प्रांगण में हरीश सिंह, सतीश सिंह, दिनेश तिवारी, कपिलदेव उपाध्याय, सियाराम यादव, पप्पू सिंह आदि लोग मौजूद रहे।