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भक्त के निश्चल भक्ति से भगवान प्रसन्न हो जाते है-साधना शास्त्री

सुशील कुमार की रिपोर्ट

मतसा(गाजीपुर)। सब्बलपुर रामलीला मैदान में राम कथा के दूसरे दिन सलेमपुर (देवरिया) जिले से आई मानस मर्मज्य साधना शास्त्री ने कहा कि शबरी के संदेह को दूर करते हुए राम भगवान के कहाँ की जाति पाति कुल धर्म बढ़ायी धन बल परिजन गुन चतुराई इन दस चीज़ों से मेरा कोई मतलब नहीं होता तो मैं तो अपने भक्त के निश्चल भक्ति से ही प्रसन्न हों जाया करता हूं। कथा वाचिक साधना शास्त्री ने कहा कि मृत्यु लोक में भगवान मनुष्य के सरल रूप में आकर समस्त मानव जाति को शिक्षा प्रदान किया।

गोस्वामी जी ने रामायण में लिखा हैं कि बड़े भाग मानुष तन पावा सुरत दुर्लभ हरि ग्रथों ही गावा अर्थात मनुष्य तन ही ऐसा हैं जिसमे हम अपार गुणों का गुणगान करते हैं। हनुमान दास, चन्द्रेश ने भी कथा का श्रवण कराया। इस अवसर पर रामा शंकर, भीम , साधू , अजीत और रामा शाह आदि मौजूद रहे।