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राधा माधव ट्रस्ट में श्रीमद् भागवत कथा का हुआ आयोजन

जमानिया। राधा-माधव ट्रस्ट सब्बलपुर में कोविड प्रोटोकॉल का पूर्णतः पालन करते हुए आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में भागवताचार्य चंद्रेश महाराज ने कहा कि प्रहलाद के पुकार पर खंभे से नरसिंह रूप में भगवान प्रकट हो गए तो क्या अब किसी खंभे अथवा शिला में भगवान नहीं हैं ?ऐसा प्रश्न परीक्षित ने शुकदेव जी से किय। ठीक-ठीक ऐसा ही प्रश्न संसार के अनेक लोगों के मन भी उठता है। भगवान के प्रकट होने के लिए परिस्थिति एवं भक्त का अनुराग भाव ही सर्वोपरि अथवा एकमात्र शर्त है।

यदि आज भी कोई प्रह्लाद, मीराबाई,नरसी मेहता , सूरदास,कबीर, रविदास जैसा समर्पण, त्याग और भाव रखकर भगवान को पुकारेगा तो वह अवश्य ही प्रकट हो जाएंगे। दशरथ-कौशल्या, देवकी- वासुदेव,नंद-यशोदा जैसी चाह परमात्मा को पाने के लिए यदि हमारे अंदर भी होगी तो आज भी वह हमारे आंगन में प्रभु की किलकारियां गूंज सकती है।हम तो जैसे घर, दुकान,जमीन, मोटरकार, मोबाइल और संसार की अन्याय वस्तुओं को खरीद या पा लेते हैं वैसे ही भगवान को भी पा लेना चाहते हैं परन्तु संसार को पाने और संसार बनाने वाले परमात्मा की उपलब्धि की शर्तें भिन्न भिन्न है। संसार की वस्तुओं को हम साधारण पुरुषार्थ से खरीद सकते हैं परन्तु परमात्मा के लिए सम्पूर्ण समर्पण एवं अनुराग की जरूरत पड़ती है जो कि हम कर नहीं पाते।