जमानिया(गाजीपुर)। दिव्य राधा-माधव ट्रस्ट सब्बलपुर में नित्य आयोजित सत्संग में गोस्वामी तुलसीदास की जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई गई।
इस अवसर पर भागवताचार्य चंद्रेश महाराज ने कहा कि सोलहवीं शताब्दी वह समय था जब कि सनातन धर्म, संस्कृति और सभ्यता पर विधर्मियों द्वारा धन, पद और भय का उपयोग करके आक्रमण किया जा रहा था। अधिकांश राजा राज बचाने और सामंत पद पदवी के लिए अपना धर्म तक बदल रहे थे तब एक संत कवि का अवतरण हुआ तुलसीदास जी के रूप में, और उन्होंने अपनी रचना रामचरित मानस के तौर पर समाज को दिया। सोलहवीं सदी से लेकर आज तक समाज में धर्म का उत्थान पतन, उतार चढ़ाव होता रहा है। अधर्म का अंधकार जब जब गहरा होगा तब तब गोस्वामी तुलसीदास जी उनके द्वारा रचित रामचरित मानस एवं अन्य द्वादश ग्रंथ प्रकाशपुंज के रूप में समाज का मार्गदर्शन करते रहेंगे। इस समारोह में बुच्चा जी, कैलाश यादव, अशोक शर्मा, राधेश्याम चौबे और विनोद श्रीवास्तव ने भी गोस्वामी तुलसीदास जी की जीवनी और उनके ग्रंथ पर सारगर्भित विचार प्रस्तुत किया उधर मेदनीपुर व सुहवल हनुमान मंदिर पर भी तुलसी जयंती मनाई गई जहां पर हवन पूजन के बाद प्रसाद वितरण किया गया।