ग़ाज़ीपुर,27 अगस्त 22। डिप्थीरिया जिसे गला घोटू के नाम से भी जाना जाता है। यहां रोग बच्चों में पाई जाती है। जिसको लेकर शासन के द्वारा लगातार नियमित टीकाकरण का कार्यक्रम भी चलाया जाता है। ताकि बच्चों में यह रोग ना फैले। बावजूद इसके बांदा और बलिया में इसके दो केस निकले हैं। जिसमें से एक का डेथ भी हो चुका है। इसलिए बलिया का पड़ोसी जनपद होने के नाते स्वास्थ्य विभाग ने इसके लिए तैयारियां कर लिया है। ताकि इस रोग से बच्चों को बचाया जा सके। जिसके लिए सोमवार से शनिवार तक विशेष नियमित टीकाकरण सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर कराने का निर्णय लिया गया है। इस दौरान समस्त ब्लॉकों में किसी भी तरह की आशा और एएनएम की कोई भी बैठक नहीं होगी।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ उमेश कुमार ने बताया कि डिप्थीरिया के 2 केस बलिया और बांदा जनपद में मिले हैं। जिसमें से एक की मौत भी हो चुकी है। यह बीमारी अपने जनपद में ना फैले इसको लेकर विभाग ने माइक्रो प्लान बना लिया है।। सोमवार से शनिवार तक विशेष नियमित टीकाकरण अभियान चलाकर बच्चों का टीकाकरण किया जाएगा। ताकि इस बीमारी से अपना जनपद सुरक्षित रहे। उन्होंने बताया कि इसके लिए 5 से 7 वर्ष के सभी बच्चों को डीपीटी का बूस्टर डोज एएनएम के माध्यम से शत-प्रतिशत लगवाना है। साथ ही 10 से 16 व सभी किशोर किशोरियों को टीडी वैक्सीन से भी शत प्रतिशत आच्छादित करना है।
उन्होंने बताया कि सभी चिकित्सा अधीक्षकों को निर्देश दिया गया है कि वह अपने क्षेत्र में छूटे हुए बच्चों का शत-प्रतिशत टीकाकरण कराये। अगर कोई बच्चा 1 साल से नीचे का छूटा है तो उनको तीन डोज पेंटावेलेंट, 1 साल से 7 वर्ष के छोटे से बच्चे को डीपीटी के तीन दोज और 7 साल से ऊपर के बच्चे को एक डोज डीटी का लगाएं।
डिप्थीरिया संक्रमण से फैलने वाली बीमारी है। इसे गलाघोंटू की बीमारी भी कहा जाता है। इसकी चपेट में अधिकतर बच्चे आते हैं। डिप्थीरिया कॉरीनेबैक्टेरियम बैक्टीरिया के इंफेक्शन से होता है। इस बीमारी में बैक्टीरिया सबसे पहले गले को नुकसान पहुंचाता है। इसके इंफेक्शन के असर से सांस नली में एक झिल्ली बन जाती है, जिसके कारण सांस लेने में समस्या होती है। इसके अलावा यह शरीर को कई तरह के नुकसान पहुंचाता है। डिप्थीरिया एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैलता है। कभी-कभी यह बीमारी जानलेवा साबित होती है।
मिर्जापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की बीपीएम सोनल श्रीवास्तव ने बताया कि विभाग से मिले निर्देश के बाद उन्होंने अपने ब्लॉक में पूरी तैयारियां कर लिया है। सोमवार से शुरू होने वाले टीकाकरण में उनके ब्लॉक का विशेष योगदान रहेगा।
डिफ्थीरिया के कारण
डिप्थीरिया एक संक्रमण की बीमारी होती है। डिप्थीरिया के जीवाणु मरीज के मुंह, नाक और गले में रहते हैं।
डिप्थीरिया एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में खांसने और छींकने से आसानी से फैलता है।
बारिश के मौसम में डिप्थीरिया सबसे ज्यादा नकुसान पहुंचाता है। इस समय इसके जीवाणु सबसे अधिक फैलते हैं।
डिप्थीरिया के इलाज में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। इसमें देरी होने पर जीवाणु पूरे शरीर में तेजी से फैलते हैं।
लक्षण-
डिप्थीरिया के लक्षण संक्रमण फैलने के दो से पांच दिनों में दिखाई देते हैं। स्किन का रंग नीला पड़ने लगता है।
डिप्थीरिया संक्रमण फैलने पर सांस लेने में कठिनाई होती है। इसके अलावा गर्दन में सूजन हो सकती है। साथ ही गले में दर्द होता है।
डिफ्थीरिया संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति के हाथ में एंटी-टॉक्सिन्स का टीका लगाया जाता है। जिस व्यक्ति को यह टीका लगाया जाता है। टीका लगाने के बाद डॉक्टर एंटी-एलर्जी टेस्ट कर जांच करते हैं कि उसकी त्वचा एंटी-टॉक्सिन के प्रति संवेदनशील तो नहीं है। बता दें कि शुरुआत में एंटी-टॉक्सिन कम मात्रा मे दिया जाता है, लेकिन धीरे-धीरे इसकी मात्रा को बढ़ा सकते हैं। बच्चे को नियमित टीके लगवाने से जान को खतरा नहीं रहता है। वहीं टीकाकरण के बाद डिप्थीरिया होने की आशंका नहीं रहती है।