जमानियां (गाजीपुर)। क्षेत्र के ग्राम रघुनाथपुर में मानव धर्म की रघुनाथपुर शाखा द्वारा एक दिवसीय कथा, सत्संग और सदुपदेश का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम में मानव धर्म प्रसार प्रवर्तन समाजसेवी संस्था के अध्यक्ष संत दयाराम दास ने उपदेश देते हुए कहा कि मनुष्य शरीर बड़े भाग्य से मिलता है और यह शरीर देवताओं को भी दुर्लभ है और देवता लोग तरसते हैं कि यह साधन का धाम शरीर हमें भी मिलता तो हम भी भजन रूपी साधन अपना कर भवबंधन से मुक्त हो जाते। मनुष्य शरीर के अलावा चौरासी लाख योनियां जिनमें देव, गंधर्व, यक्ष, किन्नर इत्यादि सभी केवल भोग योनि हैं। लेकिन केवल मनुष्य का शरीर पा जाना ही पर्याप्त नहीं है, मनुष्य बनना भी जरूरी है। मनुष्य अर्थात मानव कहलाने का हकदार वही है जो दुखिया के दुख को दूर करने हेतु अपनी सामर्थ्य के अनुसार प्रयत्न करें, सत्य के पक्ष में बोले और लड़े और अन्याय के विरुद्ध खड़ा होकर न्याय दिलाने का प्रयास करे और धर्म अर्थात परहित में हमेशा तत्पर रहे। यदि मनुष्य शरीरधारी सत्य, न्याय और धर्म के लिए कार्य करता है तो वह ही मानव कहलाने का सच्चा हकदार है। आयोजन में जयप्रकाश, कैलाश यादव एवं दीनबंधु ने भी कथा अमृत पान कराया। कथा मंच का संचालन सुखपाल ने किया।अंत में सत्संग के मुख्य यजमान इंद्रमन ने समस्त वक्ताओं एवं श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।