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गृहस्थ आश्रम ही जीवन का मूल है-कथा वाचक कमला शर्मा

जमानियां (गाजीपुर)। क्षेत्र के ग्राम गरुआ मकसूदपुर में चल रहे शांति कुंज हरिद्वार परिवार के नौ कुंडीय यज्ञ एवं प्रज्ञा पुराण कथा एवं संस्कारो के पांच दिवसीय कार्यक्रम के चौथे दिवस में मंगलवार को प्रातः 8 बजे से 12 बजे तक हवन और यज्ञ का कार्यक्रम चला जिसमें दीक्षा संस्कार, विद्यारंभ संस्कार एवं यज्ञोपवीत संस्कार के कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

प्रज्ञा पुराण में कथा वाचक कमला शर्मा ने – गृहस्थ जीवन अर्थात परिवार प्रकरण पर उपस्थित श्रद्धालुओं को अमृत पान कराया। उन्होंने प्रज्ञा पुराण में धौम्य ऋषि को उद्धृत करते हुए बताया कि गृहस्थ आश्रम ही जीवन का मूल है। परिवार का जैसा वातावरण बनता है वैसे ही समाज का निर्माण होता है। गृहस्थ जीवन का मूल प्रेम है। जहां प्रेम है वहां सुख, शांति और समृद्धि का मूल निवास हैं।
समाज की संरचना परिवार से होती है, अर्थात परिवार ही समाज की छोटी इकाई है। परिवार में नारी ही गृहस्थ जीवन की मजबूत नींव है जिससे सुंदर परिवार का महल तैयार हो जाता है। यदि नारी चाहे तो वह घर को स्वर्ग बना दे और वह चाहे तो घर को नरक बना दे। जिस परिवार में नारी का सम्मान बना रहता है वहां सुख समृद्धि और ईश्वर का वास होता है। बहू और बेटी के साथ परिवार में विभेद भी कलह का कारण बनता है। बहू को बेटी के समान यदि घर में सम्मान मिलने लगेगा उस घर से कलह दूर भाग जाएगा। परिवार में पति और पत्नी रेल की दो पटरियों के समान है जो दोनों साथ साथ चलकर परिवार रुपी रेलगाड़ी को आगे बढ़ाते हैं। अपने घर के किचन को बंद कर दीजिए जो परिवार में किच किच का कारण बनता है और घर को रसोई घर बनाईए। मां अन्नपूर्णा का मंदिर बनाईए और भोजन बनाकर भगवान को भोग लगाइए और फिर सभी लोग भोजन को मां अन्नपूर्णा का प्रसाद समझकर खाइए, निश्चित से आप का परिवार स्वस्थ एवं दीर्घायु जीवन को प्राप्त होगा। हम अंधाधुंध पश्चिमी सभ्यता का अनुसरण कर रहे हैं और भारतीय संस्कृति से दूर भाग रहे हैं। यह भारतीय संस्कार और संस्कृति से दूर भागना युवा शक्ति को पथभ्रष्ट करने का मुख्य कारण है। संचालन सुरेंद्र सिंह ने किया।