गाजीपुर 08 दिसम्बर, 2022(सू0वि0)। विकास भवन सभागार में जिला विकास अधिकारी राजेश यादव की अध्यक्षता में बुधवार को समस्त अनुभागीय अधिकारियो/कर्मचारियों को विपरीत परिस्थितियों में हृदयगति रूकने के बाद जीवन रक्षा करने के उद्देश्य से राजकीय चिकित्साधिकारी डा. शिवशक्ति प्रसाद द्विवेदी द्वारा प्रशिक्षित किया गया।
प्रशिक्षणोपरान्त जिला विकास अधिकारी एवं जिला दिव्यांग शक्तिकरण अधिकारी नरेन्द्र विश्वकर्मा ने डा0 द्विवेदी को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित भी किया।
प्रशिक्षण के दौरान डा0 शिवशक्ति प्रसाद द्विवेदी नेे बताया कि कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेंशन (सीपीआर) इमरजेंसी की हालत में इस्तेमाल की जाने वाली एक मेडिकल थिरेपी है। इससे कई लोगों की जान बचाई जा सकती है। इससे कार्डियक अरेस्ट और सांस न ले पाने जैसी अपात स्थित में व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है।कई बार किसी व्यक्ति की अचानक सांस रूक जाती है। फिर कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में किसी को सांस नही आता है, तो सीपीआर दिया जाता है। इससे लोगों की जान बचाई जा सकती है। सीपीआर में बेहोश व्यक्ति को सांसें दी जाती हैं। इससे फेफड़ों को आक्सीजन मिलती है। इससे शरीर में पहले से मौजूद आक्सीजन वाला खून संचारित होता रहता है। अगर व्यक्ति की सांस या घड़कन रूक गई है तो पर्याप्त आक्सीजन के बिना शरीर की कोशिकाएॅ बहुत जल्द खत्म होने लगती है। वही इसका असर दिमाग पर पड़ता है। वही इसका असर दिमाग पर पड़ता है। इससे कई बार व्यक्ति की मौत भी हो जाती है। ऐसी स्थिति में अगर सीपीआर दिया जाता है तो कई जानें बचाई जा सकती हैं।इससे जान बचने की संभावना बढ़ जाती है एवं सीपीआर कोई दवा या इंजेक्शन नहीं है। यह एक तरह की प्रक्रिया है। जिसे मरीज के शरीर पर इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रक्रिया में व्यक्ति की सांस रुक जाने पर सांस वापस लाने तक या दिल की धड़कन सामान्य हो जाने तक छाती को दबाया जाता है। जिससे शरीर में पहले से मौजूद खून संचारित होने लगता है।