ग़ाज़ीपुर(25 दिसम्बर 22)। कुष्ठ रोग लाइलाज नहीं बल्कि इसका इलाज है। इसी को लेकर कुष्ठ रोग नियंत्रण अभियान के तहत मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के सभागार में शनिवार को कुष्ठ रोग नियंत्रण अभियान की समीक्षा बैठक प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ उमेश कुमार की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। इस समीक्षा बैठक में जनपद के सभी ब्लॉकों के एनएमएम व एनएमएस मौजूद रहे।
जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ एसडी वर्मा ने बताया कि
कुष्ठ रोग को लेकर शासन के द्वारा कुष्ठ रोग नियंत्रण अभियान चलाया जा रहा है। जिसको लेकर सभी ब्लाकों में एनएमए और एनएमएस को कुष्ठ रोगियों के खोज के साथ ही उनकी पहचान कर उनका इलाज कराने का कार्यक्रम चलाया जा रहा है।। इसी को लेकर सभी ब्लॉकों में इस अभियान को लेकर क्या स्थिति है। किन ब्लॉकों में क्या कमी है उन कमियों को सुनकर उन्हें कैसे दूर किया जा सकता है। इन्हीं सब बातों को लेकर सभी ब्लॉकों से आए हुए एनएमए और एनएमएस का समीक्षा बैठक किया गया।इस दौरान कुष्ठ रोग पर आधारित एक लघु फिल्म का भी प्रदर्शन किया गया जिसके माध्यम से रोगियों को आप कैसे पहचान और उनका इलाज किया जाए इसके बारे में बताया गया।
उन्होंने बताया कि लेप्रोसी के मरीज़ों को अक्सर छुआछूत, कोढ़ और सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता है। जागरुकता के अभाव की वजह से लोगों को लगता है कि यह छूने से फैलता है। जबकि ये बिल्कुल ग़लत है, संक्रामक बीमारी होने के बावजूद यह छूने या हाथ मिलाने, साथ में उठने-बैठने या कुछ समय के लिए साथ रहने से नहीं फैलती। हालांकि, यह संभव है कि लेप्रोसी पीड़ित व्यक्ति के साथ लंबे समय तक रहने से परिवार के सदस्य इसकी चपेट में आ सकते हैं। लेकिन, नियमित रूप से इसका चेकअप और बचाव करने से इससे बचा जा सकता है।
लेप्रोसी या कुष्ठ रोग एक जीर्ण संक्रमण है, जिसका असर व्यक्ति की त्वचा, आंखों, श्वसन तंत्र एवं परिधीय तंत्रिकाओं पर पड़ता है। यह मायकोबैक्टीरियम लैप्री नामक जीवाणु के कारण होता है। हालांकि यह बीमारी बहुत ज्यादा संक्रामक नहीं है, लेकिन मरीज के साथ लगातार संपर्क में रहने से संक्रमण हो सकता है।
लेप्रोसी पीड़ित व्यक्ति के खांसने या छींकने पर उसके श्वसन तंत्र से निकलने वाले पानी की बूंदों में लेप्रे बैक्टीरिया होते हैं। ये बैक्टीरिया हवा के साथ मिलकर दूसरे व्यक्ति के शरीर में पहुंच जाते हैं। स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में पहुंच कर इन बैक्टीरिया को पनपने में करीब 4-5 साल लग जाते हैं। कई मामलों में बैक्टीरिया को पनपने (इन्क्यूबेशन) में 20 साल तक लग जाते हैं। प्राइमरी स्टेज पर लेप्रोसी के लक्षणों की अनदेखी करने से व्यक्ति अपंगता का शिकार हो सकता हैं। यह संक्रामक है, पर यह लोगों को छूने, साथ खाना खाने या रहने से नहीं फैलता है। लंबे समय तक संक्रमित व्यक्ति के साथ रहने से इससे संक्रमण हो सकता है, पर मरीज़ को यदि नियमित रूप से दवा दी जाए, तो इसकी आशंका भी नहीं रहती है।
समीक्षा बैठक के कार्यक्रम में एसीएमओ डॉ जे एन सिंह, डॉ मनोज सिंह ,जिला मलेरिया अधिकारी मनोज कुमार ,जिला सुपरवाइजर जेपी सिंह, श्याम बिहारी, अभय कुमार के साथ ही सभी ब्लाकों के यह एनएमए और एनएमएस मौजूद रहे।