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इंद्रदेव के मुंह फेरने से बढ़ा तापमान, किसानों व आमजन की बढ़ी परेशानी

जमानियाँ (गाजीपुर)। एक ओर जहाँ प्रदेश के कई इलाके बाढ़ के चपेट है तो कई इलाके ऐसे हैं जहां किसान आसमान की ओर टकटकी लगाये बारिश के इंतजार में बैठे हैं। सावन मास में बारिश के न होने से किसानों सहित आमजन को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उमस भरी गर्मी व सूखे खेत इंद्रदेव के नाराजगी को स्वयं ही बया कर रहे है। इंद्रदेव के मेहरबान होने का किसानों व आमजन इंतजार कर है।

शुरुआत में हुई बरसात से अधिकांश किसानों ने तत्परता दिखाते हुए खेतों को तैयार कर फसल की रोपाई कर ली लेकिन सावन माह में बरसात न होने से रोपे हुए फसल सूखने के कगार पर पहुँच गये वही अधिकांश भूभाग पर रोपाई ही नहीं हो पाई है। जिससे किसानों के माथे पर चिन्ता की लकीर स्पष्ट देखी जा सकती है।
नहर का पानी खेतों तक पहुंचाने के किसान जद्दोजहद कर रहा है लेकिन टेल तक पानी नहीं पहुँच रहा है। सूत्रों की माने तो नहर भी 60 प्रतिशत भूभाग में ही सिंचाई कर पाने में सक्षम है ऐसे में 40 प्रतिशत भूभाग भाग्य व भगवान के भरोसे ही रहेगा। बारिश के आभाव में बढ़ते तापमान के कारण फसलों में रोग भी बढ़ने का खतरा बढ़ गया है ऐसे में किसानों को फसल भी बचाने के लिए ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
उमस भरी गर्मी से जन जीवन अस्त व्यस्त
सावन मास में झमाझम बारिश होती है लेकिन इंद्रदेव के मुंह फेरने से तापमान बढ़ गया है। जिससे किसानों सहित आम लोग काफी परेशान हो गये है। कभी-कभी बरिश की कुछ बूंद धरती पर पड़ कर राहत दे रही लेकिन कुछ ही देर के बाद तापमान बढ़ जा रहा है। जिससे स्थाई निदान नहीं मिल पा रहा है। “सावन मास बहे पुरवईया, बेचहू बरदा किन्हू गईया॥” किसानों के महाकवि घाघ की उक्ति आज भी प्रासंगिक होती नजर आ रही है। सावन में अगर पुरवईया हवा चले तो कृषि के लिये खरीदे गये बैल की बिक्री कर गाय खरीदो। अकाल निश्चित है। कुछ इसी प्रकार की स्थिति इस वर्ष जिले की है। मई-जून में तो सामान्य से कम बारिश हुई। वहीं जुलाई में भी जिला वासियों को निराशा हाथ लगी। आज के इस वैज्ञानिक युग में भी उनकी पूर्व की कविताएं प्रासंगिक है। ऐसे में मौसम में बदलाव नहीं हुआ तो किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।