गाजीपुर। स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गाजीपुर में पूर्व शोध प्रबन्ध प्रस्तुत संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी महाविद्यालय के अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ तथा विभागीय शोध समिति के तत्वावधान में महाविद्यालय के सेमिनार हाल में सम्पन्न हुई, जिसमें महाविद्यालय के प्राध्यापक, शोधार्थी व छात्र- छात्राएं उपस्थित रहे। उक्त संगोष्ठी मे भाषा संकाय के हिन्दी विषय की शोधार्थिनी श्रीमती शकुन सिंह ने अपने शोध शीर्षक “हिन्दी दलित साहित्य में समकालीन सामाजिक यथार्थ ” नामक विषय पर शोध प्रबन्ध व उसकी विषय वस्तु प्रस्तुत करते हुए कहा कि प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक के साहित्य का अध्ययन करने से यह प्रतीत होता है कि दलित चेतना और दलित विमर्श के दर्शन सदैव होते रहे हैं। आधुनिक काल में तो दलित विमर्श एक विचारधारा के रूप में उभर कर सामने आई है। दलित साहित्य के केंद्र में भारतीय समाज का सबसे निचला तबका, मेहनतकश सर्वहारा मानव जाति है, जिसे सदियों से धर्मशास्त्र एवं सामाजिक परंपरा की आड़ में शारीरिक एवं मानसिक रूप से गुलाम बना कर रखा गया और दलित समाज जितना उपेक्षित रहा, उतना ही उनका साहित्य भी उपेक्षित रहा है। दलित समाज और दलित साहित्य ने अपने अस्तित्व और अस्मिता के लिए निरंतर संघर्ष किया है। अपनी इसी अस्तित्व और अस्मिता की रक्षा के लिए दलित साहित्य प्रतिबद्ध भी है, क्योंकि दलित साहित्य में नए मानवीय एवं समतामूलक सामाजिक मूल्यों का समावेश है। प्रस्तुतिकरण के बाद विभागीय शोध समिति, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ व प्राध्यापकों तथा शोध छात्र-छात्राओं द्वारा शोध पर विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछे गए जिनका शोधार्थिनी श्रीमती शकुन सिंह ने संतुष्टिपूर्ण एवं उचित उत्तर दिया। तत्पश्चात समिति एवं महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय ने शोध प्रबंध को विश्वविद्यालय में जमा करने की संस्तुति प्रदान किया। इस संगोष्ठी में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के संयोजक प्रोफे० (डॉ०) जी० सिंह, शोध निर्देशक एवं हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफे० (डॉ०) विनय कुमार दूबे , डॉ० संजय चतुर्वेदी, प्रोफे० (डॉ०) अरुण कुमार यादव, डॉ० कृष्ण कुमार पटेल, डॉ० राम दुलारे, डॉ० योगेश कुमार, डॉ० हरेन्द्र सिंह, डॉ० समरेंद्र नाथ मिश्र, प्रोफे० (डॉ०) सत्येंद्र नाथ सिंह, डॉ० डॉ० अतुल कुमार सिंह एवं महाविद्यालय के प्राध्यापकगण तथा शोध छात्र- छात्रएं आदि उपस्थित रहे। अंत में प्रोफे० (डॉ०) विनय कुमार दुबे ने सभी का आभार व्यक्त किया। संचालन अनुसंधान एवं विकास प्रोकोष्ठ के संयोजक प्रोफे० (डॉ०) जी० सिंह ने किया।
दलित साहित्य में है नए मानवीय एवं समतामूलक सामाजिक मूल्यों का समावेश – श्रीमती शकुन सिंह
- by ब्यूरो