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हृदय गति रुकने से जाने-माने गीतकार वंश नारायण सिंह का निधन

जमानियाँ (गाजीपुर)। क्षेत्र के गगरन ग्राम निवासी भोजपुरी के जाने माने गीतकार वंश नारायण सिंह ‘मनज’ (95) हृदयगति रुकने से सोमवार को अपराह्न 12.40 बजे निधन हो गया। निधन की सूचना मिलते ही क्षेत्र में शोक की लहर फैल गई तथा शोक संवेदना व्यक्त करने के लिए स्वजन का दरवाजे पर तांता लगा रहा।

इनका जन्म 20 जुलाई 1933 ई0 को पैतृक ग्राम गगरन (दिलदारनगर) में हुआ था। हिंदी तथा अंग्रेजी विषयों में एम0 ए0 की शिक्षा प्राप्त कर लंबे समय तक राधा कृष्ण आदर्श इंटर कॉलेज दिलदारनगर में एक लोकप्रिय भाषा शिक्षक के रूप में अध्यापन करने के बाद अवकाश प्राप्त कर दिलदारनगर स्थित मकान में बेटी वंदना के साथ रहते हुए साहित्य साधना करते रहे तथा कविसम्मेलनों एवं काव्यगोष्ठियों में सुकुमार कवि के रूप में अपने गीत एवं स्वर लहरी से श्रोताओं को रससिक्त करते रहे। इनकी कृति ‘लिखे कोइलरिया पिरीतिया के पाती’ को खूब सराहा गया। साहित्य साधना का यह क्रम लम्बी बिमारी के कारण टूटने लगा तथा अचानक सोमवार को स्थिति बिगड़ जाने के कारण परिजन उपचारार्थ सासाराम (बिहार) के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराये। इलाज के दौरान ही उनका निधन हो गया।
निधन के बाद पार्थिव शरीर दिलदारनगर लाया। अंतिम संस्कार मंगलवार को जमानियां स्थित शमशान घाट पर किया जाएगा। इनके निधन से भोजपुरी साहित्य जगत की अपूर्णिय क्षति हो गई। जनपद के सभी साहित्यकारों ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया तथा परम पिता से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की तथा कहा कि मनज जी भोजपुरी साहित्य के स्तम्भ थे। उनके निधन से भोजपुरी साहित्य जगत की अपूर्णिय क्षति की भरपाई नहीं की जा सकती। उनके निधन पर साहित्यकार राजेन्द्र सिंह, कुमार शैलेन्द्र, डा0 गजाधर शर्मा ‘गंगेश’, वीरेन्द्र सारंग, रविनन्दन सिंह, डॉ सुरेश राय, मिथलेश गहमरी आदि ने शोक संवेदना व्यक्त की।